RTI ने किया खुलासा, निष्क्रिय ईपीएफ खातों में नही किया गया 54,657.87 करोड़ रुपये से अधिक का दावा

आरटीआई के अनुसार, ईपीएफ के निष्क्रिय खातों में 54,657.87 करोड़ रुपये बिना दावे के पड़े हैं। वित्त वर्ष 18-19 और 19-20 में निष्क्रिय खातों की परिभाषा में संशोधन से गिरावट आई है।

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Written by Rohit Kumar

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निष्क्रिय EPF खातों में नही हुआ 54,657.87 करोड़ रुपये से अधिक का दावा, RTI ने किया खुलासा

RTI: हाल ही में, आरटीआई अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी ने खुलासा किया है कि भारत में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के निष्क्रिय खातों में 54,657.87 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि बिना किसी दावे के पड़ी हुई है। इस आश्चर्यजनक आंकड़े का खुलासा आकाश गोयल द्वारा किया गया, जो कि एक इंजीनियर, प्रबंधन स्नातक और चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक हैं।

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निष्क्रिय खातों का विश्लेषण

EPF के निष्क्रिय खातों को उन खातों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनमें तीन वर्षों तक कोई लेन-देन नहीं होता है। वित्त वर्ष 2015-16 से 2017-18 के दौरान, इन निष्क्रिय खातों में जमा राशि में विस्फोटक वृद्धि हुई, जो कि आरटीआई के तहत प्रकाशित हुई है। इस अवधि के दौरान, इन खातों में क्रमशः 40,865.14 करोड़, 45,093.41 करोड़, और 54,657.87 करोड़ रुपये जमा हुए।

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नियमों में परिवर्तन और उसके प्रभाव

श्री गोयल ने संकेत दिया कि वित्त वर्ष 18-19 और वित्त वर्ष 19-20 में दर्ज की गई गिरावट ‘निष्क्रिय’ खातों की परिभाषा में हुए संशोधन के कारण हुई हो सकती है। इस संशोधन में निष्क्रिय खातों को केवल सेवानिवृत्ति के बाद ही लेबल किया गया, जो पहले तीन साल की निष्क्रिय अवधि के बाद लेबल किया जाता था।

वित्तीय निपटान और उसके चुनौतियाँ

आरटीआई प्रतिक्रिया से पता चलता है कि वित्त वर्ष 15-16 से 19-20 तक निष्क्रिय खातों से कुल 17,573.89 करोड़ रुपये का दावा निपटाया गया, फिर भी बहुत बड़ी राशि अभी भी बिना दावे के है। इस स्थिति ने न केवल कर्मचारियों के धन के समुचित प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि इसने EPFO के प्रशासनिक ढांचे पर भी प्रश्नचिह्न लगाए हैं।

आगे की दिशा

इन निष्क्रिय खातों से जुड़ी बड़ी धनराशि का प्रबंधन और उपयोग करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष (SCWF) में योगदान के माध्यम से इन निधियों का संवेदनशील उपयोग इस दिशा में एक संभावित कदम हो सकता है, जो कि न केवल वित्तीय संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करेगा बल्कि यह समाज के वरिष्ठ नागरिकों की भलाई में भी योगदान देगा।

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