EPS-95 पेंशनभोगियों की उम्मीदें टूटीं, पेंशन फॉर्मूला बदलने की मांग

EPS-95 पेंशनभोगियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से निराश होकर पेंशन फॉर्मूला बदलने की मांग उठाई है। वे पेंशन का निर्धारण अंतिम वेतन के बजाय पेंशन फंड में कुल योगदान के आधार पर चाहते हैं, और पेंशन राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

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Written by Rohit Kumar

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EPS-95 पेंशनभोगियों की उम्मीदें टूटीं, पेंशन फॉर्मूला बदलने की मांग

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत आने वाले पेंशनभोगियों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जो उम्मीदें थीं, वह पूरी नहीं हो सकी हैं। इस असंतोष के चलते अब पेंशनभोगियों ने पेंशन फॉर्मूला बदलने की आवाज बुलंद कर दी है।

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पेंशनभोगियों की राय

कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के तहत न्यूनतम पेंशन पर टिप्पणी करते हुए एक पेंशनभोगी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि चूंकि यह एक अंशदायी पेंशन योजना है, इसलिए पेंशन का निर्धारण पेंशन सदस्य द्वारा पेंशन फंड में किए गए कुल योगदान के अनुपात में होना चाहिए, न कि अंतिम पेंशन योग्य वेतन के आधार पर। उन्होंने पेंशन फॉर्मूले में संशोधन की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि सभी सदस्यों को पेंशन का समान वितरण हो सके।

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वहीं सुखदेवो सिंह का कहना है की हम सभी मजदूरों का पैसा जमा कर इसका महीने का ब्याज से पेंशन हमें दिया जाता है फिर भी हमारा मूलधन पैसा सरकार अपने पास रखती है और हमारा पेंशनर्स की मृत्यु के बाद उसका पैसा उसके नॉमिनी को न देकर सरकार खुद रख लेती है जो कि गलत है इसे बंद होना चाहिए बल्कि इससे अच्छा तो EPF स्कीम को बंद कर इसमें जमा धन राशि पेंशनर्स का जो हक है प्रिंसिपल अमाउंट है वह पेंशनर्स को वापस लौटा देना चाहिए हमें पेंशन नहीं चाहिए हमारा पैसा हमें वापस करो।

पीएफ फार्मूला गलत है कृपया इसे प्राइवेट से भिन्न फार्मूले में बदलें कृपया इसे सरकारी रूप में बदलें जो है -बेसिक+डीए *सर्विस/70 गलत है इसे बेसिक+डीए होना चाहिए *सर्विस/12 यह सही है, सरकारी पीएफ कार्यालय ले रहा है लेकिन नहीं देना हमारा योगदान कहां है अगर हम आरडी में बचत करें तो यह जल्द से जल्द बहुत सारा पैसा बन जाएगा

इरफान का कहना है की पीएफ फॉर्मूला गलत है। निजी क्षेत्र के फॉर्मूले से अलग करते हुए, इसे सरकारी फॉर्मूला में बदला जाना चाहिए। वर्तमान फॉर्मूला बेसिक+डीए *सेवा/70 गलत है। इसे बेसिक+डीए *सेवा/12 किया जाना चाहिए, जो सही है। सरकारी PF कार्यालय हमारे योगदान को ले रहा है लेकिन वापस नहीं दे रहा। अगर हम इसे आरडी (रेकरिंग डिपॉजिट) में बचत करते, तो यह काफी पैसा बन जाता। कृपया इसे जल्द से जल्द बदलें।

पेंशनर्स का कोई माई बाप नहीं

ईपीएस 95 पेंशन राष्ट्रीय संघर्ष समिति के रायपुर अध्यक्ष अनिल कुमार नमदेव ने EPS-95 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पेंशनर्स का इस देश में कोई माई बाप नहीं है। उन्होंने कहा कि संसद में पेश हुए आम बजट से यह साफ जाहिर हो गया है। उन्होंने बजट की आलोचना करते हुए कहा कि हर बजट के बाद गरीब और गरीब और अमीर और अमीर होता गया है। आम आदमी न तो पूरी तरह अमीर की श्रेणी में आता है, न पूरी तरह गरीब की श्रेणी में।

जनप्रतिनिधियों पर गुस्सा

अनिल कुमार नमदेव ने जनप्रतिनिधियों की आलोचना करते हुए कहा कि हमारे जनप्रतिनिधियों में 99.9% करोड़पति और अरबपति होते हैं। वे नहीं जानते कि गरीबी क्या होती है और आम आदमी क्या होता है। उन्होंने कहा कि बजट में किसका कितना हिस्सा होता है, यह किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने आम बजट को ‘खास बजट’ कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं मानी।

EPS-95 पेंशनभोगियों की मौजूदा स्थिति और उनकी मांगें यह स्पष्ट करती हैं कि पेंशन व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। पेंशनभोगियों का मानना है कि उनकी पेंशन का निर्धारण उनके कुल योगदान के आधार पर होना चाहिए और इसके लिए पेंशन फॉर्मूले में बदलाव किया जाना चाहिए। साथ ही, बजट में आम आदमी के हितों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है ताकि पेंशनभोगियों को न्याय मिल सके।

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8 thoughts on “EPS-95 पेंशनभोगियों की उम्मीदें टूटीं, पेंशन फॉर्मूला बदलने की मांग”

  1. अंतिम वेतन के मान से पेंशन गणना नहीं होती यह पिछले साठ महिने के वेतन से लिया जाता है जो गलत है
    सरकार पेंशन नही देगी इसकी राशि मे बडा घपला है लिहाजा पीऐफ विभाग बंद कर हमारे पैसे वापस दिऐ जाऐ

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