मध्य प्रदेश में कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ते (DA) को लेकर चिंता और असंतोष बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय कर्मचारियों की तुलना में, राज्य के कर्मचारियों को 4% कम DA प्राप्त हो रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ रहा है। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को जनवरी 2024 से 50% DA की उम्मीद थी, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिले हैं।
इस वजह से कर्मचारी वर्ग में गहरी निराशा है। साथ ही, चुनावी साल में आमतौर पर दिए जाने वाले एरियर का लाभ भी नहीं मिल पा रहा, क्योंकि अगले दो-ढाई सालों तक कोई चुनाव होनी की स्थिति नही है।
केंद्र और राज्य के बीच तुलना
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में जनवरी 2024 में 4% की वृद्धि की घोषणा की, जिससे उनका DA 50% हो गया। इसके विपरीत, मध्य प्रदेश के कर्मचारियों का DA अभी भी 46% पर स्थिर है। इस अंतर से न केवल वित्तीय असमानता बढ़ रही है, बल्कि कर्मचारियों के बीच असंतोष भी बढ़ रहा है।
वेतन आयोग की भूमिका
छठवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार, महंगाई भत्ता जैसे ही 50% होता है, यह मूल वेतन में मिला दिया जाता है। इस वजह से जब केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए आठवें वेतनमान की घोषणा की, तो मध्य प्रदेश में भी इसी तरह की मांग उठने लगी।
आगे की राह
मध्य प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी केंद्र सरकार के बराबर DA की मांग कर रहे हैं और इसे लेकर वे आंदोलन की धमकी भी दे रहे हैं। बता दें राज्य में 7.5 लाख कर्मचारियों को जितना महंगाई भत्ता दिया जाता है 4.5 लाख पेंशनरो को उतनी ही महंगाई राहत भी दी जाती है। वहीं कर्मचारियों और पेंशनर्स को जनवरी 2024 से DA और DR न मिलने के कारण हर महीने 620 से 5640 नुकसान हो रहा है।
ऐसे में, इस विषय पर राज्य सरकार को जल्द से जल्द संज्ञान लेने की जरूरत है ताकि कर्मचारियों की चिंताओं का समाधान किया जा सके और उनपर वित्तीय भार कम हो। यह मुद्दा न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक समर्थन का भी है, क्योंकि यह राज्य के लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों के जीवन स्तर पर सीधे असर डालता है।
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