
कर्मचारी भविष्य निधि योजना यानी EPF एक अनिवार्य सामाजिक सुरक्षा योजना है, जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा देती है। EPF के अंतर्गत कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों को मासिक वेतन का एक हिस्सा इस फंड में जमा करना होता है। सरकार ने इस योजना के तहत एक न्यूनतम वेतन सीमा (Minimum Salary Limit) तय की है, जिसके आधार पर यह तय होता है कि PF कटना अनिवार्य है या नहीं।
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वर्तमान नियम क्या कहते हैं?
वर्तमान में यदि किसी कर्मचारी का मूल वेतन और महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) मिलाकर ₹15,000 या उससे कम है, तो EPF में योगदान करना अनिवार्य है। इसका मतलब है कि ऐसे कर्मचारियों के वेतन से हर महीने 12% की कटौती PF के रूप में होती है और उतनी ही राशि उनके नियोक्ता द्वारा भी जमा की जाती है।
नया प्रस्ताव: क्या बदलने जा रहा है?
हाल ही में सरकार ने इस सीमा को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹21,000 करने का प्रस्ताव रखा है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो ₹21,000 तक वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों के लिए PF में योगदान अनिवार्य हो जाएगा। इससे न केवल कर्मचारियों को अधिक सामाजिक सुरक्षा मिलेगी बल्कि उनका रिटायरमेंट फंड भी मजबूत होगा।
किन पर लागू नहीं होगा नया नियम?
हालांकि, जिन कर्मचारियों की सैलरी ₹21,000 से अधिक है, उनके लिए EPF में भागीदारी अनिवार्य नहीं होगी। लेकिन वे चाहें तो स्वेच्छा से योजना में भाग ले सकते हैं, यदि उनका नियोक्ता भी सहमत हो। इस स्थिति में दोनों पक्ष आपसी सहमति से PF में योगदान कर सकते हैं।
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इसका कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा?
इस बदलाव का उद्देश्य संगठित क्षेत्र के अधिक कर्मचारियों को Employee Provident Fund के दायरे में लाना और उन्हें आर्थिक रूप से भविष्य के लिए सशक्त बनाना है। EPF का यह योगदान लंबे समय में एक मजबूत बचत के रूप में काम करता है और रिटायरमेंट के समय एक बड़ी राशि के रूप में मिल सकता है।
EPF में योगदान क्यों फायदेमंद है?
EPF में कटौती भले ही हर महीने आपके इन-हैंड सैलरी को कम करती हो, लेकिन यह एक सुरक्षित निवेश है जो टैक्स बेनिफिट्स के साथ-साथ ब्याज (interest) भी देता है। मौजूदा समय में EPF पर 8.25% तक का ब्याज मिल रहा है, जो किसी भी पारंपरिक सेविंग स्कीम से कहीं बेहतर है।
EPF का प्रबंधन कौन करता है?
EPF खाते में जमा राशि पूरी तरह से सरकार द्वारा नियंत्रित Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) के अधीन होती है और इसमें पारदर्शिता के साथ ब्याज और योगदान का रिकॉर्ड रखा जाता है। इस स्कीम की खास बात यह है कि इसमें सरकार की गारंटी भी होती है, जिससे यह एक बेहद सुरक्षित निवेश विकल्प बन जाता है।
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EPF सीमा बढ़ने से होगा क्या?
यदि EPF की न्यूनतम सैलरी सीमा ₹21,000 कर दी जाती है, तो इसका सीधा असर लाखों कर्मचारियों पर पड़ेगा। इससे कर्मचारी की मासिक बचत तो बढ़ेगी ही, साथ ही उन्हें Income Tax Act की धारा 80C के अंतर्गत टैक्स छूट का लाभ भी मिलेगा। सरकार का यह कदम संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति को सुधारने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की दिशा में एक बड़ा बदलाव हो सकता है।