
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) अपने निवेश के नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। श्रम मंत्रालय, वित्त मंत्रालय से EPFO के डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश की सीमा को 20% से घटाकर 10% करने की अनुमति मांगेगा। यह कदम सरकारी बॉन्ड्स से मिलने वाले कम रिटर्न और उनकी सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए उठाया जा रहा है।
इस बदलाव के बाद, EPFO का ध्यान अब कॉर्पोरेट बॉन्ड्स पर केंद्रित होगा, जो सरकारी बॉन्ड्स की तुलना में अधिक रिटर्न प्रदान करते हैं। हालांकि, इन बॉन्ड्स में निवेश से जोखिम भी बढ़ सकता है, क्योंकि निजी कंपनियों के दिवालिया होने की संभावना सरकारी संस्थानों की तुलना में अधिक होती है।
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नवंबर 2024 में मिली थी मंजूरी
नवंबर 2024 में EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई थी। CBT, EPFO का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है, जिसमें सरकार, कर्मचारी और नियोक्ताओं के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस बदलाव को लागू करने के लिए श्रम मंत्रालय ने औपचारिक प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजने की तैयारी कर ली है। अगर वित्त मंत्रालय से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह EPFO की निवेश रणनीति में एक बड़ा बदलाव होगा।
क्यों लिया जा रहा है यह फैसला?
EPFO का मुख्य निवेश सरकारी कंपनियों (PSUs) द्वारा जारी किए गए बॉन्ड्स में होता है, लेकिन हाल ही में इन बॉन्ड्स से कम रिटर्न प्राप्त हो रहा है। साथ ही, सरकारी बॉन्ड्स की उपलब्धता भी सीमित होती जा रही है। ऐसे में EPFO अब कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में निवेश बढ़ाने की योजना बना रहा है, क्योंकि वे अधिक रिटर्न प्रदान करते हैं। हालांकि, इन बॉन्ड्स में निवेश से जोखिम भी अधिक होता है, क्योंकि अगर किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति खराब होती है, तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
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कर्मचारियों पर क्या होगा असर?
EPFO की इस नई निवेश रणनीति का सीधा असर 7 करोड़ से ज्यादा सदस्यों की रिटायरमेंट सेविंग्स पर पड़ेगा। अगर कॉर्पोरेट बॉन्ड्स में किए गए निवेश से अच्छा रिटर्न मिलता है, तो इससे पीएफ खाताधारकों को अधिक ब्याज प्राप्त हो सकता है। लेकिन यदि निवेश असफल रहा, तो इसका नकारात्मक असर भी देखने को मिल सकता है।
EPFO को इस रणनीति में अत्यधिक सतर्कता बरतनी होगी। सिर्फ उन्हीं कंपनियों में निवेश किया जाएगा, जिनकी क्रेडिट रेटिंग मजबूत हो और जिनकी वित्तीय स्थिति स्थिर हो।
शेयर बाजार पर भी दिख सकता है असर
EPFO के इस कदम से कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट को मजबूती मिलेगी, जिससे कंपनियों को निवेश बढ़ाने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा, अगर EPFO शेयर बाजार में निवेश बढ़ाता है, तो सेंसेक्स और निफ्टी पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है।
अब यह देखना होगा कि वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है या नहीं। अगर यह बदलाव लागू होता है, तो करोड़ों EPFO खाताधारकों के भविष्य पर प्रभाव पड़ेगा और देश के निवेश बाजार में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है।
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