EPS 95 पेंशन में बड़ा बदलाव? वित्त मंत्री से हुई बैठक, पेंशनभोगियों को मिलेगी राहत?

वित्त मंत्री से मुलाकात के बाद पेंशन में बढ़ोतरी की उम्मीद जगी, 7,500 रुपये न्यूनतम पेंशन और महंगाई भत्ते की माँग पर चर्चा। पढ़ें पूरी खबर।

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Written by Rohit Kumar

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EPS 95 पेंशन में बड़ा बदलाव? वित्त मंत्री से हुई बैठक, पेंशनभोगियों को मिलेगी राहत?

ईपीएस 95 पेंशन योजना, जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा संचालित होती है, देश के पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। हाल ही में, इस योजना के तहत पेंशनभोगियों का एक प्रतिनिधिमंडल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करने पहुंचा। उनकी यह मुलाकात न केवल पेंशन राशि में वृद्धि की मांग पर आधारित थी, बल्कि अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों को भी उठाने के लिए की गई थी। इस बैठक से पेंशनभोगियों को कुछ सकारात्मक आश्वासन मिले हैं, जिससे उनमें उम्मीदों की नई किरण जगी है।

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न्यूनतम पेंशन और महंगाई भत्ते की माँग

प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व ईपीएस 95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति (एनएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने किया, ने सरकार के सामने अपनी मुख्य मांगों को रखा। इनमें न्यूनतम पेंशन को 7,500 रुपये प्रति माह तक बढ़ाने और इसके साथ महंगाई भत्ते को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। कमांडर राउत ने बैठक के बाद बयान दिया कि वित्त मंत्री ने इन मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया है।

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बजट से उम्मीदें, पेंशन वृद्धि की आवश्यकता

कमांडर राउत ने यह भी कहा कि सरकार को आगामी बजट में इन मांगों को शामिल करना चाहिए। उनका मानना है कि वर्तमान न्यूनतम पेंशन राशि और महंगाई भत्ता वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम नहीं बनाते। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह खुलासा किया कि देशभर में 78 लाख से अधिक पेंशनभोगी बेहद दयनीय परिस्थितियों में जी रहे हैं।

राउत ने 2014 में सरकार द्वारा न्यूनतम पेंशन को 1,000 रुपये प्रति माह तक बढ़ाने की घोषणा को भी संदर्भित किया। उन्होंने यह दावा किया कि इस घोषणा के बावजूद 36.60 लाख पेंशनभोगियों को इससे भी कम पेंशन प्राप्त हो रही है। यह तथ्य सरकार की नीति और उसके क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करता है।

आंदोलन और ठोस समाधान की कमी

ईपीएस 95 पेंशन योजना के पेंशनभोगी पिछले सात से आठ सालों से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन, अब तक कोई ठोस समाधान सामने नहीं आया है। इस योजना के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन का 12% हिस्सा प्रोविडेंट फंड में जमा होता है, जिसमें से 8.33% पेंशन योजना में जाता है। सरकार इसमें 1.16% का योगदान करती है। बावजूद इसके, पेंशनभोगियों की वर्तमान स्थिति उनके मूलभूत जीवन-स्तर को भी बनाए रखने में सक्षम नहीं है।

सरकार और पेंशनभोगियों के बीच पुल बनाने की आवश्यकता

वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक ने पेंशनभोगियों को एक नई उम्मीद दी है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि केवल आश्वासनों से समस्याओं का समाधान नहीं होगा। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ईपीएस 95 पेंशन योजना के तहत लाभान्वित होने वाले नागरिकों को एक गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार प्राप्त हो।

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