
कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के तहत न्यूनतम पेंशन को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। वर्तमान में पेंशन केवल 1000 रुपए प्रति माह है, जिसे बढ़ाकर 7500 रुपए करने की मांग की जा रही है। पेंशनर्स का कहना है कि यह राशि उनकी आजीविका के लिए पर्याप्त नहीं है और वे मोदी सरकार, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय पर सवाल उठा रहे हैं। पेंशनभोगियों की बढ़ती असंतुष्टि के बीच इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष दोनों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
पेंशनर्स की नाराजगी और सरकार का रुख
पेंशनभोगी रामकृष्ण पिल्लई ने कहा कि 1973 से 2014 तक विभिन्न सरकारों ने पेंशन के क्षेत्र में कुछ खास नहीं किया। उनका कहना है कि मौजूदा बीजेपी सरकार ने 1 सितंबर 2014 से पेंशन योग्य वेतन को 6500 से बढ़ाकर 15000 रुपए कर दिया, जिससे भविष्य के पेंशनभोगियों की पेंशन पिछली पेंशन के मुकाबले दोगुनी से अधिक हो सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि सरकार के लिए यह एक जटिल मुद्दा है, चाहे सत्ता में कोई भी पार्टी हो।
उन्होंने सुझाव दिया कि मुद्रास्फीति और वेतन वृद्धि को ध्यान में रखते हुए पेंशन योजना में आवश्यक संशोधन किए जाने चाहिए। साथ ही, पुराने पेंशनभोगियों के लिए सरकारी सब्सिडी के साथ न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का भी आग्रह किया गया। इससे उन पेंशनभोगियों को राहत मिलेगी जिनका पेंशन योग्य वेतन सेवानिवृत्ति के समय काफी कम था।
ईपीएस पेंशन प्रणाली में संभावित बदलाव
पीके कपूर का मानना है कि ईपीएस पेंशन प्रणाली में बड़े बदलाव का प्रस्ताव अभी विचाराधीन है। उनके अनुसार, अंतिम निर्णय तभी स्पष्ट होगा जब सरकार यह घोषणा करेगी कि पेंशनरों को किसी निश्चित तारीख से पेंशन में वृद्धि दी जाएगी। यह घोषणा पेंशनभोगियों के लिए राहत लेकर आएगी।
न्यूनतम पेंशन में वृद्धि की संभावनाएं
राजेंद्र प्रसाद का सुझाव है कि न्यूनतम पेंशन को बिना डीए (महंगाई भत्ता) के 2000 रुपए तक और अधिकतम 3000 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वृद्धावस्था पेंशन को केंद्र या राज्य सरकारों द्वारा सभी पात्र व्यक्तियों तक पहुँचाना चाहिए, चाहे वे किसी भी राज्य में रहते हों।
इस मुद्दे पर जोर दिया गया कि आयकर दाताओं को इस लाभ से बाहर रखा जा सकता है, जिससे सरकार की आर्थिक जिम्मेदारी भी संतुलित बनी रहेगी।
भविष्य की राह, सरकार से उम्मीदें
पेंशनभोगी समुदाय की अपेक्षाएं स्पष्ट हैं। वे सरकार से न्यूनतम पेंशन राशि को यथाशीघ्र बढ़ाने और इसे वर्तमान जीवनयापन खर्चों के अनुरूप बनाने की मांग कर रहे हैं। साथ ही, पेंशनभोगी यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार मुद्रास्फीति, वृद्धावस्था और सामाजिक सुरक्षा के पहलुओं को ध्यान में रखते हुए नीति निर्माण करेगी।
पेंशन प्रणाली में सुधार के ये प्रस्ताव केवल पेंशनभोगियों के लिए राहत ही नहीं देंगे, बल्कि उन्हें समाज के एक सक्रिय और सम्मानजनक हिस्से के रूप में महसूस कराएंगे।