
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह साल उम्मीदों से भरा हो सकता है क्योंकि आठवां वेतन आयोग (8th Pay Commission) जल्द ही लागू होने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा चुका है। केंद्र सरकार ने 16 जनवरी 2025 को इस आयोग को मंजूरी दे दी है और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू की जा सकती हैं। इस कदम से लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे।
लागू होने की प्रक्रिया और संभावित तारीख
आठवां वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया जोरों पर है। वित्त मंत्रालय के अधीन व्यय विभाग (Department of Expenditure) ने आयोग में नियुक्तियों के लिए 42 पदों पर प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनमें अध्यक्ष और दो प्रमुख सदस्य शामिल हैं। हालांकि यह आयोग अभी पूरी तरह से गठित नहीं हुआ है, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि 2026 से इसे लागू किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिफारिशें तैयार होने और उन्हें लागू करने में 2027 की शुरुआत तक का समय भी लग सकता है।
वेतन वृद्धि और फिटमेंट फैक्टर
8वें वेतन आयोग की सबसे बड़ी विशेषता इसका फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) होगा, जिसे 2.6 से बढ़ाकर 2.86 तक किया जा सकता है। इससे कर्मचारियों के मूल वेतन में 20% से 35% तक की वृद्धि संभव है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी का मौजूदा मूल वेतन ₹18,000 है, तो यह बढ़कर ₹21,600 तक जा सकता है। यह वेतन वृद्धि विभिन्न स्तरों पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए एक बड़ा वित्तीय संबल साबित होगी।
पेंशनर्स को भी मिलेगा लाभ
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि 1 जनवरी 2026 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनर्स (Pensioners) को भी इस वेतन आयोग का लाभ मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में यह भरोसा दिलाया कि पेंशन नियमों में जो हालिया बदलाव हुए हैं, वे केवल प्रक्रियात्मक हैं और पेंशन की राशि पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। यह बयान उन लाखों पेंशनभोगियों के लिए राहत लेकर आया है जो बदलावों को लेकर चिंतित थे।
सरकार की तैयारी और भावी असर
केंद्र सरकार 2024-25 के केन्द्रीय बजट (Union Budget) से पहले इस आयोग की संरचना को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह कदम न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम है बल्कि कर्मचारियों और पेंशनर्स के भरोसे को भी मजबूत करता है। साथ ही, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे देश की आर्थिक गतिविधियों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि वेतन वृद्धि का सीधा असर खर्च करने की क्षमता पर होता है।