
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग ने हाल ही में जोरदार प्रदर्शन कर सरकार से पुरानी पेंशन योजना यानी Old Pension Scheme-OPS की बहाली की मांग की। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना-New Pension Scheme (NPS) के तहत उन्हें रिटायरमेंट के बाद स्थायी और सम्मानजनक जीवन जीने के लिए जरूरी पेंशन नहीं मिल रही। उनके अनुसार, OPS के तहत जो निश्चित और अंतिम वेतन का 50% पेंशन मिलती थी, वह ज्यादा भरोसेमंद और सुरक्षित थी।
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NPS से असुरक्षित भविष्य का डर
नई पेंशन योजना में मिलने वाली राशि बाजार से जुड़ी होती है, जिससे यह पूरी तरह से अस्थिर और अनिश्चित हो जाती है। इसीलिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों का कहना है कि वे अपने भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद आर्थिक स्वतंत्रता का सपना केवल OPS जैसी स्थायी व्यवस्था से ही संभव है, इसलिए इसकी पुनः बहाली आज की सबसे ज़रूरी मांग बन चुकी है।
DA/DR एरियर और वेतन आयोग के लाभ न मिलने पर नाराजगी
प्रदर्शनकारियों ने केवल पेंशन में कटौती का मुद्दा ही नहीं उठाया, बल्कि DA (Dearness Allowance) और DR (Dearness Relief) के बकाया एरियर का भुगतान न होने पर भी सरकार की नीतियों की आलोचना की। इसके अलावा, 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें केवल 2026 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों पर लागू होने की खबरों से भी नाराजगी जाहिर की गई। इससे पहले रिटायर होने वाले कर्मचारियों को इस लाभ से वंचित किया जा सकता है, जो उन्हें अन्यायपूर्ण प्रतीत होता है।
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सरकार की सफाई और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में यह स्पष्ट किया कि पेंशन नियमों में कोई नया कटौती नहीं की गई है और केवल मौजूदा नीतियों का पुनः सत्यापन हुआ है। उनका कहना था कि किसी भी मौजूदा पेंशनभोगी के लाभ में कोई बदलाव नहीं किया गया है। लेकिन प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनके हितों की पूर्ण सुरक्षा नहीं हो जाती और पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
राजनीतिक और सामाजिक असर
यह मुद्दा केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी बन चुका है। कई राज्यों में OPS की बहाली के मुद्दे पर चुनावी वादे किए गए हैं और कुछ राज्यों ने इस दिशा में कदम भी बढ़ाए हैं। अब यह राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है कि क्या केंद्र सरकार को भी OPS बहाल करनी चाहिए, खासकर तब जब लाखों पेंशनभोगी इसके पक्ष में खड़े हैं।
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