नेता रिटायर नहीं होते तो पेंशन क्यों? नेताओं की पेंशन बंद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका

राजस्थान हाई कोर्ट में पूर्व विधायकों की पेंशन के मुद्दे पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया कि संविधान में पेंशन का प्रावधान नहीं है। विधायकों को सेवा निवृत्ति के बिना पेंशन और वेतन दोनों मिलते हैं, जबकि आम कर्मचारी नई पेंशन स्कीम पर निर्भर हैं। याचिका में पेंशन नियमों को अवैध घोषित करने की मांग की गई है।

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Written by Rohit Kumar

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नेता रिटायर नहीं होते तो पेंशन क्यों? नेताओं की पेंशन बंद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका
नेता रिटायर नहीं होते तो पेंशन क्यों? नेताओं की पेंशन बंद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका

नेताओं की पेंशन का मुद्दा एक बार फिर से तूल पकड़ने लगा है। यह सवाल उठना लाज़िमी है कि जब पेंशन किसी कर्मचारी को उसकी पूरी सेवा के बाद मिलती है, तो नेताओं को पेंशन क्यों? कर्मचारी रिटायर होकर पेंशन पाता है, लेकिन नेता कभी रिटायर नहीं होते। यह मामला अब राजस्थान हाई कोर्ट में पहुंच चुका है।

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राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई

राजस्थान हाई कोर्ट में पूर्व एमएलए की पेंशन को लेकर सुनवाई हुई। जनहित याचिका में कहा गया कि संविधान में पूर्व विधायकों को पेंशन देने का प्रावधान नहीं है। याचिका कर्ता की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि आरटीआई के जरिए मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान में 508 पूर्व विधायकों को हर साल करीब 26 करोड़ रुपए पेंशन के तौर पर दिए जाते हैं।

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पेंशन का संवैधानिक प्रावधान

राजस्थान विधानसभा अधिकारियों और सदस्यों की प्रिलब्धियां एवं पेंशन अधिनियम 1956 और राजस्थान विधानसभा सदस्य पेंशन नियम 1977 के तहत पूर्व विधायकों को पेंशन का लाभ दिया जा रहा है। लेकिन संविधान के अनुच्छेद 195 और राज्य सूची की 38वीं एंट्री में पूर्व विधायकों को पेंशन देने का कोई प्रावधान नहीं है।

पेंशन और वेतन दोनों का लाभ

कई विधायक, जो पुनः चुनाव जीतकर एमएलए बन जाते हैं, उन्हें पहले कार्यकाल की पेंशन के साथ-साथ वर्तमान कार्यकाल का वेतन भी मिलता है। इससे राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ता है। याचिका में कहा गया कि पेंशन उस व्यक्ति को दी जाती है जो एक निश्चित आयु के बाद सेवा निवृत होता है, जबकि विधायक सेवा निवृत नहीं होते। इसके विपरीत, कर्मचारियों को नई पेंशन स्कीम (NPS) के तहत पेंशन मिलती है, जो शेयर मार्केट पर निर्भर होती है।

अन्य राज्यों की स्थिति

ऐसा केवल राजस्थान में नहीं, बल्कि अधिकांश राज्यों में हो रहा है। एमपी और अन्य राज्यों के विधायकों को भी पेंशन दी जाती है। यह पेंशन राशि हर साल बढ़ती रहती है, जबकि कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (DA) के रूप में इंक्रीमेंट मिलता है।

नेताओं के लिए विशेष सुविधाएँ

नेताओं को पेंशन के अलावा अनेक सुविधाएँ मिलती हैं, जैसे कि नौकर रखने के भत्ते, गाड़ी भत्ते, टेलीफोन खर्चे, एचआरए, आदि। वहीं, आम नागरिकों और कर्मचारियों को अपनी आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

याचिका में मांग

याचिका में मांग की गई है कि वर्ष 1956 के अधिनियम और वर्ष 1977 के नियम को अवैध घोषित कर रद्द कर दिया जाए और पूर्व विधायकों से पेंशन की राशि की रिकवरी की जाए। यह भी कहा गया कि पूर्व विधायकों की पेंशन आम जन पर भार है।

जनता की राय

इस मुद्दे पर आपकी क्या राय है? क्या नेताओं को पेंशन मिलनी चाहिए? क्या यह संविधान के दायरे में आता है या नहीं? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें और इस मुद्दे को अधिक से अधिक साझा करें ताकि इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा सके।

नेताओं को पेंशन पर मिलने वाली ये सुविधाएँ और वित्तीय लाभ आम जनता के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे रोकने के लिए जनता को जागरूक होना जरूरी है।

(आपकी राय महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर अपनी राय दें और लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।)

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166 thoughts on “नेता रिटायर नहीं होते तो पेंशन क्यों? नेताओं की पेंशन बंद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका”

    • माननीय विधायकों एवं सांसदों को किसी भी प्रकार की पेंशन दिया जाना न्यायोचित नहीं है, दी गई पेंशन की रिकवरी की जानी चाहिए आम जनता के टैक्स का पैसा विकास कार्यों में लगाया जाना चाहिए।

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    • ये बात ठीक है नेता जब तक सासंद रहते हैं उनको सुविधा इतनी मिलती है कि पाचं परिवार पल सकते हैं तो ये तो कहीं भी नहीं⛔🚫❌ हैं कि संसद में रहते हुए पुरी सुविधा के साथ तनख्वाह और पैंशन मिले जबकि एक मजदूर खाने के लिए संघर्ष करता है ओर रिटायर होने के बाद भी पैंशन नहीं मिलनी चाहिए कयोकि अपने कारयकाल में इतना कमा लेते हैं कि👉 तीन पुशते खा सकती है ये तो जनता के साथ अन्याय है इनके करमचारी की तरह पैसे ⛔कटते तो ये इसके हकदार नही है

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    • मेरी राय में देश के जितने भी कर दाता उनकी एक कमिटी गठित करके संसद में चयनित सभी MP, सभी राज्यों की विधानसभा में चयनित MLA और अन्य सभी सरकारी ग्रामपंचायत, नगर परिषद, जिला परिषद,महानगर परिषदो के चयनित सदस्यों के सभी सुविधाओं को तुरंत रोक लगा दी जाए. साथ हीं इनके द्वारा जनता को मुफ्त दी जाने वाली विभिन्न योजनाओ की अनुमति केवल कर दाता कमिटी की मंजुरी के bina लागू नहीं होनी चाहिए.
      सभी MP, MLA, all elected persons for different Government bodies संविधान में उपलब्ध अधिकारों का अपने निजी स्वार्थ के लिए लाभ उठाते है. संविधान में चयनित किसी भी समाजसेवक को सरकारी पैसे का लाभ न उठाने के लिए प्रावधान करना आवश्यक है.
      In my opinion, a committee of all the taxpayers of the country should be constituted and all the facilities given to all the MPs elected to the Parliament, MLAs elected to the Legislative Assemblies of all the states and the selected members of all other government Gram Panchayats, Municipal Councils, District Councils, Metropolitan Councils should be immediately stopped. Also, the various schemes given free to the public by them should not be implemented without the approval of the taxpayer committee.
      All MPs, MLAs, all elected persons for different Government bodies take advantage of the rights available in the Constitution for their personal interests. It is necessary to make a provision in the Constitution that any selected social worker should not take advantage of government money.

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    • कुर्ती पजामीधारी नेताओं की छोटी से लेकर बड़ी श्रेणी जैसे एमएलए, एमपी आदि सबकी पेंशन तनख्वाह, वेतन भत्ते व अन्य सभी ठाट बाट की सुविधाएं बंद होनी चाहिए और जो ले चूके है उनसे रिकवरी हो तो और बेहतर होगा। साथ ही लोकतंत्र के नाम पर निचले स्तर से लेकर ऊपर तक की गंदी एवं संकीर्ण मानसिकता की राजनीति को भी उखाड़ फेंकना होगा और रियल लोकतंत्र की स्थूल अवधारणाओं को अपनाना होगा एवं जनता मे भी बेईमानी और स्वार्थ की जो स्नेह व्याप्त है उसका भी ईलाज होना चाहिए। सभी की आमधारणा मलाई चाट पदों, ठेको /कामों आदि की मनोकामनाएं स्वयं दूर हो जाए की तकनीकों एवं प्रणालियों को विकसित करने की जरूरत है।

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    • सर जी इस देश के संविधान में इन नेताओं को देश भक्त कहां जाता है
      परन्तु वर्तमान में यह स्वयं भक्त है और अमिरो के हम राज़ है
      इनको पैंशन नहीं मिलनी चाहिए
      हम गरीबों की कमाई इन लोगों के पास नहीं जानी चाहिए
      क्या कमिशन से भी इनका पैट नहीं भरता

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    • राजनीति सेवा है, धंधा नहीं। आज।भले एक तरह से दलाल का स्थान ले लिया हो, पर हकीकत में “सेवा” के रूप में पुनः प्रतिष्ठित करना पड़ेगा। आज के ये महाचालू नेताओं से यह होना नहीं हैं। क्योंकि इन्होंने देश की राजनीति को “परिवर्तन” का जुमला दिखाकर भ्रष्टाचार की गर्त में धकेला है।
      सेवा में वेतन नहीं होता। हाँ, मानदेय अवश्य होता है। वाजिब सुविधाएँ भी मिलनी चाहिए। आज भले नब्बे प्रतिशत् से अधिक सांसद करोड़ोंपति हैं। इन सुविधाओं का इनके लिए कोई महत्त्व नहीं हैं।
      जन-प्रतिनिधियों को पेंशन देने का प्रश्न ही नहीं। वे कर्मचारी नहीं, वे सेवक हैं। “पेंशन” विशुद्ध रूप से अन्यायी, अनैतिक, असंवैधानिक हैं। इसे तत्काल समाप्त कर देना चाहिए।
      दुर्भाग्य यह है कि हमने एक-एक को छाँट-छाँटकर चुना हैं। देश की राजनीति में भारी जीर्णोद्धार करने की ज़रूरत हैं और जन-प्रतिनिधियों को जवाबदेह बनाने की ज़रूरत हैं।

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  1. जब कर्मचारियों को पेंशन नहीं दी जा सकती तो नेताओं को क्यों दी जा रही है कर्मचारी 60 साल नौकरी करता है आई 5 साल लग्जरी मौज उठाते नेताओं की पेंशन और भत्ते इस देश के ऊपर बोझ है इसको तत्काल प्रभाव से रोक लगनी चाहिए

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  2. भारत जैसे देश का यह दुर्भाग्य है कि नेता जितनी बार विधायक बनते हैं उनको ऊतनी बार पेंशन दी जाती है और एक राज्य कर्मचारी या सेंट्रल गवर्नमेंट का कर्मचारी को 60 साल नौकरी करने के बाद भी एनपीएस के तौर पर देश बोझ समझ कर दे रहा है

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  3. एमपी एमएलए को पेंशन तो मिलनी ही नहीं चाहिए, इनको वेतन भी नहीं मिलना चाहिए। वहां नौकरी करने नहीं गए। देश सेवा के लिए गए हैं तो निस्वार्थ भाव से सेवा करें।
    भविष्य में इन लोगों की भी एक योग्यता का निर्धारण होना चाहिए। जिसमें कम से कम पन्द्रह वर्षों का सेना का सेवाकाल हो साथ ही साथ सेवा मैडल प्राप्त को वरियता हो।

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  4. वास्तव में देश की आजादी के लिए खादी वाले नेता यातना और कुर्बानी नही दिए क्योंकि उन्हें सत्ता सुख दिखाई दे रहा था । कहावत है धनवान डरता है बलवान से,बलवान डरता है बुद्धिमान से और बुद्धिमान डरता है चरित्रवान से । आजादी चरित्रवान से ही मिली है । धनवान तो अपनी आने वाली पीढ़ियों को सुख सुविधा जुटाने हेतु नेता बन गए जो आज भी देश को लूटने में कोई कमी नहीं करते । पिसता तो आज भी मध्यम वर्ग है जो बुद्धिमान है । नेताओ को देश सेवा निःशुल्क करना चाहिए और सुविधाओं का त्याग करना चाहिए तभी नेता की परिभाषा सार्थक होगी ।

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  5. Neta ko pension nahin milni chahiye. Kyunki sarkar Pvt. Karamchariyon ko jo ki 20-40 saal apni sewa dene ke baad retire hote hain unhen 1000 se 3000 tak pension deti hai jo ki uska khud ka contribution ka interest banta hai to neta ko 5 saal ya kam time mein pension or allowances kyuon? Mere hisab se to neta ko pay bhi nahin milni chahiye kyuonki yeh to khud ko janta ka sewak kehtey hain. Yeh seat par rehtey huai khoob kamatey hain or phir pension bhi lete hain. Bahut se aise neta hain jab rajneeti mein aye they to ghar par gas tak nahin thi aaj arbon ke malik hain yeh sab kahan se aya. Siraf Rajneeti ke naam par inki loot hai. Gareeb karamchari ko dene mein pet mein dard hota hai. Neta to Lal Bahadur Shashtri or Lt sh. Atal bihari bajpai ji they. Baki neta nahin siraf apna sochne wale hain. Inka to ek hi usool ha” Apna kaam banta Bhad mein jaye janta”

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  6. सभी सांसद एवं विधायक जन विरोधी हैं, जन सेवक को पेंशन क्यों मिले जबकि कर्मचारी 35/40 वर्ष तक अपनी सेवा प्रदान करता है उसके बाद भी पेंशन बंद कर दी गई है! नेता अपनी पेशन जितनी बार चुनाव जीतते हैं उतनी बार पेंशन बढ़ा लेते हैं जो टैक्स देने वालों पर सीधा बोझ है.. इसको बंद कर उच्चतम न्यायलय सीधा संज्ञान लेना चाहिए
    .

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  7. MLA or MP neta log hi es desh ko lute rehe h.logon ko bevkoof bna kr ya log khud bevkoof ban kr bjp, congress kr kr desh ka dhan en pr luta rehe h. Example se samjata hu .543 +250Mp lokshbha/rajyasabha =793@100000 /month pension 79300000×12 951600000 and 4000 plus mLA@ 100000 =400000000×12 =4800000000+951600000 =57516000000 and purb MLA&MP and their widow. Kharbon rupya enke dwara hi luta ja reha h, janta ko kon puchta h. 3-4 pension lene walon ki bhi koi kami nhi h. Shanta Kumar khud Ghar bethne kr bad keh chuke hki pension buhut Jayda h approx 12/13 lakh ho sakti h. Kis baat ki pension rajniti peson ke liye ho rehi h. Jaago jaago jaago aabaj buland kro es pension ke khilaaf.

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  8. एमपी एमएलए को पेंशन तो मिलनी ही नहीं चाहिए, इनको वेतन भी नहीं मिलना चाहिए। वहां नौकरी करने नहीं गए। देश सेवा के लिए गए हैं तो निस्वार्थ भाव से सेवा करें।
    भविष्य में इन लोगों की भी एक योग्यता का निर्धारण होना चाहिए। जिसमें कम से कम पन्द्रह वर्षों का सेना का सेवाकाल हो साथ ही साथ सेवा मैडल प्राप्त को वरियता हो।

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  9. MP/MLA are not the employee of either government or private sector.
    PF contribution is only for employees.
    They are not selected but elected by the people for the people of the people.
    There are no bar of eligibility,like education, caste, asset,police cases etc.
    They’re elected to serve the nation,poor people and above all senior citizen who has worked more than 30year for the country.
    MP/MLA nowadays having monthly payment,free medical treatment,cheap canteen, banglow and others.
    After five years of term they are eligible for pension and other.
    As they are not employee they are not eligible for pension and other.
    Minister rulling or opposition should not get pension.
    Making rules are in their hand.
    For common profit for their,all leaders are joining hands together.

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  10. सांसद और विधायक की पेंशन और वेतन से आम जनता की जेब पर जो बोझ पड़ता है वह माननीय प्रधानमंत्री जी और वित्तमंत्री जी रिर्जव बैंक के गवर्नर एवं देशभक्त नेताओं को दिखाई नहीं देता सिर्फ कर्मचारियों को बुढ़ापे में मिलने वाली पेंशन दिखाई देती हैं मोदी जी इस पर भी तो दो शब्द जनता के बीच में आकर कहो भाइयों ये तों अदालत के फैसले को अध्यादेश लाकर बदल देंगे कौए की प्रजाति के है अपने फायदे के लिए सब एक हो जाते हैं जनता को बेवकूफ बनाने के लिए अलग अलग है और हम बेवकूफ बनते भी है

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  11. Pension payment to MPs/
    MLAs is very unconstitutional. The same provision does not exist before 2014. The same has proposed and passed after 2014. It is suggested to stop the pension payment to MPs and MLAs immediately. An employee is eligible for pension after completion of 60 years service but our leaders are eligible for the pension after five years tenure. The same is not justified in any manner.

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  12. नियमानुसार पेंशन उनको मिलनी चाहिए जो सेवा से सेवानिवृत होते है।
    चूंकि MP और MLA सेवा निवृत नहीं होते है , यदि उन्हें सेवा निवृत्ति की पेंशन देना हो तो उन्हे दोबारा चुनाव लडने की पात्रता को समाप्त कर देना चाहिए । यह प्रथा देश पर आर्थिक बोझ को बढ़ाती है।
    जय हिंद

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  13. विधायक/सांसद को पेंशन ब वेतन नहीं मिलना चाहिए। क्योंकि यह जनसेवा भाव लेकर शपथ लेते है, जनसेवा निःस्वार्थ भाव से बिना आर्थिक लाभ लिए की जाना चाहिए। इसके अलावा यह सभी ना तो लिखित परीक्षा/मौखिक परीक्षा में शामिल होकर ,पास नहीं होते हैं ।ये अपनी-अपनी जिंदगी में अपने के अलावा दूसरे के हित में नहीं सोचते।बस ५ साल के लिए सशक्त पार्टी से चुनाव जीतकर वेतन(मानदेय ले)बैंक बैलेंस करोड़ो में कर, जिंदगी भर पेंशन (गुजारा-भत्ता ले)लेके अपने निजी हितों में जीवन जीते हैं। देशभक्ति हित में नहीं।(पेंशन और वेतन नहीं मिलना चाहिए बल्कि जनसेवा हेतु गुजारा-भत्ता लें और व्यक्तिगत जीवन जिएं)।

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  14. विधायक/सांसद को पेंशन ब वेतन नहीं मिलना चाहिए। क्योंकि यह जनसेवा भाव लेकर शपथ लेते है, जनसेवा निःस्वार्थ भाव से बिना आर्थिक लाभ लिए की जाना चाहिए। इसके अलावा यह सभी ना तो लिखित परीक्षा/मौखिक परीक्षा में शामिल होकर ,पास नहीं होते हैं ।ये अपनी-अपनी जिंदगी में अपने के अलावा दूसरे के हित में नहीं सोचते।बस ५ साल के लिए सशक्त पार्टी से चुनाव जीतकर वेतन(मानदेय ले)बैंक बैलेंस करोड़ो में कर, जिंदगी भर पेंशन (गुजारा-भत्ता ले)लेके अपने निजी हितों में जीवन जीते हैं। देशभक्ति हित में नहीं।(पेंशन और वेतन नहीं मिलना चाहिए बल्कि जनसेवा हेतु गुजारा-भत्ता लें और व्यक्तिगत जीवन जिएं)।

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  15. एमपी एमएलए की सैलरी फिक्स होनी चाहिए और पेंशन नहीं होनी चाहिए उनके लिए TA,DA ही काफी है।
    बुढ़ापा वृद्धावस्था विधवा पेंशन ईपीएस95 पेंशनर से अधिक मिलती है। एक बूढ़ा और एक बूढीको कुछ साल जीवन यापन के लिए कम से कम 5000 – 7000 पेंशन तो मिलनी ही चाहिए नहीं तो वे कष्टमय जीवन यूं ही व्यतीत करके दुनिया से चले जाएंगे। एक न एक दिन सबको किसी अवस्था में आना है

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  16. M P / M A L लोकप्रतिनिधी यांना संविधान मध्ये
    पेन्शन देण्याचा उलेख केलेला नाही तर मग पेन्शन बंध करा EPSO कर्मचारी 35/40 वर्ष नोकरी करतो
    तेव्हा त्याला 600/ 2700 रुपये पेन्शन मिळते
    MP / MLA यांना 50000/200000 रुपये मिळतात यांना बंध करा

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  17. एमपी एमएलए को भी एनपीएस में कंट्रीब्यूट करने के बाद उससे ही पेंशन मिलनी चाहिए। एक व्यक्ति 60 साल में रिटायर होगा और एनपीएस से पेंशन लेगा तो नेता हर 5 साल रिटायर होगा और सरकारी खजाने में टैक्स से पेंशन लेगा।सरासर गलत है।

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  18. Thik mudda uthaya gaya hai ise pahle uthaye Jana chaie tha sab dal ka neta koi bhi ho I mudde par ekjut rahta hai isi tarh pure deshwasi ekjut hokar ise hatane hetu muhim chalana cahie Jo MLA or mp ko pension Nani milna chahie pm narendra modi se agrah hai ise aap hata de ya sansodhan kar nps ya eps kar de to jivan bhar pm rah sakte hai Jo ki desh hit me hoga. Jai hind jai bharat

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  19. Ye politician apni pocket ko bharte h bs or kuch nhi, ik employee jo apne 30-35 saal government ke liye kaam krta h usse to ye pension dete nhi h or apni hr saal bda lete h politician ka kaam public ke liye kaam Krna h lekin ye 5 saal mein pahle to apna ghar bhar lete h or baad mein inhe pension bhi do work kuch Krna nhi lekin treatment inhe VIP do inka koi hak nhi h pension ka

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  20. कर्मचारियों का contribution कटता हैं उनको तब भी पेंशन नहीं और नेताओं का कुछ भी नहीं हैं उनको पेंशन कहाँ का न्याय हैं। सिर्फ 5 साल में पेंशन कर्मचारिओं को 60 क़ी रिटायरमेंट पर भी नहीं। शर्म आनी चाहिए सरकारों को

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  21. नेताओं की पेंशन बंद होनी चाहिए क्योंकि यह सरकारी कर्मचारी नहीं है और ना यह कभी रिटायर होते हैं जब यह रिटायर नहीं होते तो पेंशन नहीं होनी चाहिए

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  22. नेता लोग घोटाले करने में तो माहिर है ही साथ ही साथ अपनी सैलरी और भत्ते बढ़ाने के लिए एक सहमत हो जाते है तब तो सभी पार्टियां एक हो जाती है इन नेताओ ने तो आम के आम घुटलियो के दाम कर रहे है
    पेंशन पूर्णतया बंद होनी चाहिए । संविधान में संशोधन करके
    अग्निवीर की तरह विधायक वीर सांसद वीर योजना चलानी चाहिए मोदी जी को तब वास्तव में मान जायेंगे मोदी जी का 56 इंच का सीना है ।

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  23. नेता कोई कर्मचारी नहीं,न वह रिटायर होता है, फिर पेंशन क्यों। सांसद विधायक व अन्य नेताओं की पेंशन बंद हो। नेताओं को पेंशन जनता के घन दुरपयोग है। तुरन्त बंद हो।

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  24. भारत की गरीबी का मुख्य कारण राजनीतिक भ्रष्टाचार है, इसके बावजूद इनको तनख्वाह किस बात की चाहिए
    आखिर नेता देश के लिए करता ही क्या है
    नेताओं की तनख्वाह ही नहीं बल्कि नेताओं को मिलने वाली सारी सुविधाएं भी बंद होनी चाहिए।
    आजादी के पहले तो किसी नेता ने कोई तनख्वाह नहीं ली तो आज के नेताओं को TA/DA क्यों चाहिए?

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  25. आजादी से पहले तो किसी नेता ने कोई तनख्वाह नहीं ली परन्तु आज के नेताओं को तनख्वाह क्यों चाहिए?
    राजनेताओं की तनख्वाह ही नहीं बल्कि नेताओं को मिलने वाली सारी सुविधाएं भी बंद होनी चाहिए।

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  26. पूर्व,सांसदों और विधायकों को पेंशन दिया जाना उचित नहीं है। उसे तत्काल बन्द किया जाए। पेंशन और पुन: जन प्रतिनिधि बनने पर वेतन और पेंशन दोनों दिया जा रहा है तो और भी आपत्तिजनक है।

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  27. Ye vidhayak chor h inko kis bat ka pensan diya jata h in sabhi ka rikvari nikal kar pensan vapil li jave Or in paso ka upyog gribh logo ke li ye kiya jave ye vidhayak 5 salo me 7 pidiya ka pasa ekatta kar lete h aam janta ke kalyan kari yojnao me to ye vidhansabha me hangam a karte h Or khud ke bhatte Or vetan me bhadotri me koi hagama nhi karte chup ye janta ke sevk h inko koi vetan Or pensan nhi diya jana chahiye 60 sal ke hone par ja gribo ko pensan di jati h vitani hi pensan di jave

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  28. जनता की कमाई को लुटेरा लुटता है तो कोई इसे जायज नही बतायेगा और जो नेतागण इसे स्वेच्छा से नही छोड़ता उसे जनता वोट न दे ये नेता बार बार खड़े होते है।

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  29. गरीब और अति गरीब भी जब वस्तुयें खरीदता है तो उसमें GST या अन्य तरह के कर जुड़े रहते हैं, और उस टैक्स के धन से पेंशन बनती है, जबकि जो नेता होता है वो कम से कम करोड़पति होता है ऐसे हालत में नेताओं को पेंशन देना सरासर गलत है। पूरी तरह गलत है।

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  30. A k Verma
    M L A and MP both ko pension nahin milna chahiye
    Due to ye dono kabhi retair hote hi nahin .Ye dono janpratinidhi hain .but maximum MLA and MP ko janta se koyi matlab nahin hai. Unko pata hai ki one time MLA OR MP se jit gaye to jivanbher pension milta rahega. Ye dono ka pension kar desh ki ko uthana parta hai. Desh ki janta ke liye ye dono ka pension ka bhar uthana pap ki gathri uthane se kam nahi hai.

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  31. इस देश मे नेताओं का ही राज है वो कुछ भी कर सकते है नियम कानून अपने फायदे के हिसाब से बनयगे
    पांच साल के लिए बनेगे और सब कुछ फ्री का खायेगे और परिवार को भी खिलायेगा पेन्सन भी पायगा और अपने पाच पीढ़ी के लिए धन भी करोङों में जमा कर जायगा

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  32. इनको किसी भी तरह की सुविधाएं नही मिलनी चाहिए ।न इनकी कोई योग्यता है का कोई एग्जाम पास करना है इनकी असली योग्यता , मूढ़, अनपढ़ जाहिल, गवार, रेपिस्ट , कतली, गुंडा, दलाल, आदि अन्य कई उप नमो से जाना जाता है । क्या इनके लिए हम सभी के द्वारा दिया गया टैक्स का पैसा इन जाहिलो को दिया जाएगा यह हम कत्तई बर्दास्त नही होगा ।अगर हमारे बीच के भाई एवं बहन कोई भी पुरानी पेंशन की भीख हम इन जाहिलो से माग कर रहे हैं, अब एमपी एमएलए इनको हर तरह की सुविधाओं से वंचित किया जाय।।।।।। ।।।।।।।।।।।।।
    जय श्री कृष्ण ।।।।

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