
अगर आप Employees’ Pension Scheme (EPS) के तहत रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन की गणना समझना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको पेंशन फॉर्मूला में शामिल संख्या ’70’ का सही मतलब समझना होगा। यह एक स्थिरांक है जो EPS में पेंशन की राशि को निर्धारित करने के लिए उपयोग होता है, और इसका सीधा प्रभाव आपकी मासिक पेंशन पर पड़ता है। यह समझना जरूरी है कि यह संख्या क्यों चुनी गई और इसका आपके रिटायरमेंट फंड से क्या संबंध है।
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’70’ का गणित और EPS पेंशन फॉर्मूला
EPS योजना के अंतर्गत मासिक पेंशन की गणना एक तय फॉर्मूले से होती है:
मासिक पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन × सेवा अवधि) ÷ 70
यहां ’70’ को एक मानक मानते हुए पेंशन की गणना की जाती है। इस स्थिरांक का उपयोग इसलिए किया गया है ताकि वेतन और कार्यकाल के अनुपात में एक स्थायी, तुलनात्मक रूप से न्यायसंगत पेंशन राशि तय हो सके। उदाहरण के लिए, अगर किसी कर्मचारी का पेंशन योग्य वेतन ₹15,000 और सेवा अवधि 30 वर्ष है, तो उसकी मासिक पेंशन होगी ₹6,428.57। यानी जितनी लंबी सेवा अवधि और ज्यादा वेतन होगा, उतनी ही अधिक पेंशन तय होगी – लेकिन यह सब इसी ’70’ संख्या के आधार पर संतुलित होता है।
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पेंशन योग्य वेतन और सेवा अवधि की भूमिका
पेंशन योग्य वेतन का तात्पर्य उस औसत वेतन से है जो कर्मचारी ने सेवानिवृत्ति से पूर्व 60 महीनों के दौरान अर्जित किया हो। फिलहाल इस पर ₹15,000 की सीमा लागू है। दूसरी ओर, सेवा अवधि उस कुल कार्यकाल को दर्शाती है जिसमें कर्मचारी ने EPS में नियमित योगदान किया हो। यदि यह सेवा अवधि 20 वर्षों से अधिक है, तो EPS नियमों के अनुसार 2 अतिरिक्त वर्ष स्वतः जोड़ दिए जाते हैं जिससे कुल पेंशन बढ़ जाती है।
उच्च पेंशन विकल्प और हालिया बदलाव
कई कर्मचारी अब उच्च पेंशन विकल्प का चयन कर रहे हैं जिसमें वास्तविक वेतन (₹15,000 से अधिक) के आधार पर पेंशन की गणना होती है। हालांकि इसके लिए संयुक्त विकल्प भरना जरूरी होता है। यह प्रक्रिया 2014 में आए एक संशोधन के बाद और सुप्रीम कोर्ट के 2022 के आदेश के बाद अधिक पारदर्शी हो गई है। यदि आपने EPS में उच्च योगदान किया है और विकल्प का समय रहते चयन किया है, तो आपकी पेंशन की गणना भी उसी के अनुरूप होगी – मगर तब भी ’70’ इस गणना का स्थायी भाग रहेगा।