सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के तहत सशस्त्र बलों के दिग्गजों के लिए पेंशन तय करने में देरी के लिए केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सेवानिवृत्त कैप्टनों के लिए पेंशन तय करने में विसंगतियों को दूर करने के लिए 14 नवंबर की समय सीमा निर्धारित की और लगभग तीन साल की देरी के लिए 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
अदालत की चेतावनी
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा, “कितने साल तक यह ऐसे ही चलता रहेगा। या तो आप (केंद्र) 10% अधिक (बढ़ी हुई पेंशन) देना शुरू करें या लागत का भुगतान करें।” अदालत ने कहा कि 2 लाख रुपये की लागत सेना के कल्याण कोष में जमा की जाएगी और यदि 14 नवंबर तक निर्णय नहीं लिया गया तो वह सेवानिवृत्त नियमित कैप्टनों की पेंशन में 10% की वृद्धि करने का निर्देश देगी।
केंद्र सरकार की स्थिति
केंद्र सरकार की ओर से अदालत में उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भट्टी ने बताया कि सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) की कोच्चि पीठ ने छह विसंगतियों की ओर संकेत किया है जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। हालांकि, इस संबंध में सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
अदालत की प्रतिक्रिया
अदालत ने कहा, “हम चाहते थे कि फैसला लिया जाए, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। यह मामला 2021 में आया लिया गया है।” भट्टी ने कहा कि सरकार टुकड़ों में निर्णय नहीं ले सकती, उसे इस मुद्दे को समग्र रूप से देखना होगा और सभी छह विसंगतियों पर विचार करना होगा क्योंकि निर्णय से अन्य भी प्रभावित हो सकते हैं।
अंतिम आदेश
पीठ ने कहा, “वे सेवानिवृत्त कैप्टन हैं। उनकी कोई सुनवाई नहीं है। वे कहां जाएंगे। उनकी आप तक पहुंच नहीं है।” पूर्व में भी न्यायालय ने केंद्र सरकार को पेंशन विसंगतियों पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था, क्योंकि एएफटी का निर्णय 7 दिसंबर, 2021 को दिया गया था।
अपने 23 जुलाई के अंतिम आदेश में न्यायालय ने कहा, “इस न्यायालय ने अपीलकर्ता को निर्णय लेने के लिए बार-बार समय दिया है। इन परिस्थितियों में, हम अनुकरणीय लागत लगाने की सोच रहे हैं और यह भी निर्देश देते हैं कि नियमित कैप्टन को OROP योजना लागू होने की तारीख से 20% तक पेंशन में वृद्धि का लाभ मिलेगा।”
आगामी सुनवाई
मामले की आगे की सुनवाई के लिए 25 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है, जहां अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि केंद्र सरकार ने दिए गए निर्देशों का पालन किया है या नहीं। यह मामला भारतीय सशस्त्र बलों के दिग्गजों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी पेंशन में वृद्धि की संभावना है और लंबी देरी से उन्हें राहत मिलेगी।