OPS: मप्र हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को भेजा नोटिस, इन अधिकारियों को क्यों नहीं दिया जा रहा OPS का लाभ

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि कुछ चिकित्सा अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ क्यों नहीं मिल रहा है। अदालत ने इस संबंध में लोक स्वास्थ्य विभाग और वित्त विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किया है।

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Written by Rohit Kumar

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OPS Update: मप्र हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को भेजा नोटिस, इन अधिकारियों को क्यों नहीं दिया जा रहा OPS का लाभ

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार से प्रश्न किया है कि कुछ मेडिकल अधिकारियों को पुरानी पेंशन योजना (OPS) के लाभ क्यों नहीं मिल रहे हैं। इस मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करने वाले याचिकाकर्ता, जिनमें जबलपुर के धीरज दवांडे, भोपाल के राजेश वर्मा और रायसेन के हरिनारायण मुंद्रे शामिल हैं, उन्होंने न्यायालय में इस असमानता के खिलाफ याचिका दायर की है।

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न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर इस विषय में स्पष्टीकरण मांगा है।

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विषमता का मुद्दा

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि ऐसे ही अन्य अधिकारियों को जो पहले से ही इस पद पर कार्यरत हैं, उन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है। दूसरी ओर, 27 अधिकारी, जिनकी नियुक्ति विज्ञापन के जरिए और बाद में पूरक सूची के आधार पर हुई थी, वे इस लाभ से वंचित हैं।

अधिवक्ता संघी ने यह भी उल्लेख किया कि यह भेदभाव न केवल अनुचित है बल्कि राज्य सरकार की नीतियों के विपरीत भी है। उन्होंने मांग की कि याचिकाकर्ताओं को भी पुरानी पेंशन योजना के तहत वही लाभ दिए जाएं जो उनके समकक्षों को प्राप्त हो रहे हैं।

प्रतिक्रिया और अपेक्षित परिणाम

राज्य सरकार और संबंधित विभागों से इस नोटिस का जवाब अभी आना बाकी है। इस मामले का परिणाम न केवल याचिकाकर्ताओं के लिए बल्कि उनके जैसे अन्य अधिकारियों के लिए भी मायने रखता है, जिन्हें समान वेतन और लाभ प्राप्त करने का अधिकार है। निष्पक्षता और समानता की इस लड़ाई में, न्यायालय का निर्णय बेहद महत्वपूर्ण होगा।

आगे की राह

इस मामले की सुनवाई के दौरान और निर्णय आने तक, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत किस प्रकार के तर्क और विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला सुनाती है। यह मामला न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता का भी परीक्षण करेगा।

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