OPS: कर्मचारियों को जल्द मिलेगी खुशखबरी, पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन बहाली का होगा ऐलान, जाने पूरी खबर

उद्धव ठाकरे ने शिरडी में वादा किया कि शिवसेना सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करेगी। इसपर नाना पटोले ने समर्थन दिया और राजनीतिक प्रतिबद्धता दर्शाई।

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Written by Rohit Kumar

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OPS: कर्मचारियों को जल्द मिलेगी खुशखबरी, पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन बहाली का होगा ऐलान

OPS: शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने हाल ही में अहमदनगर के शिरडी में एक महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने सत्ता में वापसी पर पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू करने का वादा किया। यह घोषणा एक ऐसे कार्यक्रम में की गई जो विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों की इस महत्वपूर्ण मांग को समर्थन प्रदान करने के लिए आयोजित की गई थी।

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पुरानी पेंशन योजना की प्रासंगिकता

पुरानी पेंशन योजना, जिसे नई पेंशन योजना (NPS) ने प्रतिस्थापित किया है, कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती थी। इस योजना के तहत कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन मिलती थी, जो उनके भविष्य को अधिक सुरक्षित बनाती थी। ठाकरे ने इस बात पर जोर दिया कि सरकारी कर्मचारी अपने पूरे जीवन काल में जनता की सेवा करते हैं, और उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

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राजनीतिक समर्थन और विरोध

इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी भाग लिया और उन्होंने भी इसी दिशा में अपनी पार्टी की प्रतिबद्धता व्यक्त की। पटोले ने भाजपा पर इस योजना को समाप्त करने का आरोप लगाते हुए, इसे फिर से लागू करने की दिशा में कांग्रेस के संकल्प को उजागर किया।

महाविकास आघाड़ी और राजनीतिक बाधाएँ

नाना पटोले ने यह भी स्पष्ट किया कि महाविकास आघाड़ी के कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के कारण इस योजना के लागू करने में कठिनाइयाँ आईं, परंतु अब जब वे साथ नहीं हैं, तो इस दिशा में कोई रुकावट नहीं रहेगी।

निष्कर्ष

उद्धव ठाकरे और नाना पटोले की प्रतिबद्धताओं से स्पष्ट है कि वह पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की दिशा में गंभीरता है। यह मुद्दा न केवल अगले चुनावों में बल्कि उन कर्मचारियों के जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा में अर्पित किया है। अब यह देखा जाना है कि ये वादे किस हद तक पूरे किए जाते हैं और इसका असर राजनीतिक परिदृश्य पर किस प्रकार पड़ता है।

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