
भारत में सैलरीड क्लास के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग सिर्फ बचत करने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होती जा रही है। नौकरी के दौरान ही लोग अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग शुरू कर देते हैं, और इसमें निवेश के लिए सही विकल्प चुनना एक बड़ा निर्णय होता है। इस संदर्भ में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एंप्लाई प्रोविडेंट फंड (EPF) दो प्रमुख योजनाएं हैं। कोई भी व्यक्ति NPS अकाउंट खोल सकता है, जबकि EPF में कंट्रीब्यूशन के लिए फुल-टाइम नौकरी आवश्यक होती है।
कुछ नियोक्ता अब दोनों सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे कर्मचारी टैक्स बेनिफिट के साथ अपनी रिटायरमेंट फंडिंग को मजबूत कर सकते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि NPS और EPF में से कौन सा बेहतर विकल्प है और यह टेक-होम सैलरी को कैसे प्रभावित करता है?
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NPS और EPF में कंट्रीब्यूशन का अंतर
सभी एंप्लॉयर NPS की सुविधा नहीं देते, लेकिन अगर आपका एंप्लॉयर यह ऑप्शन देता है, तो आप अनुरोध कर सकते हैं कि उनका योगदान आपकी सैलरी का हिस्सा बने। यदि आप अपने हाथ में आने वाली सैलरी को कम करने के लिए तैयार हैं, तो EPF और NPS दोनों में योगदान किया जा सकता है।
- EPF: अनिवार्य रूप से, नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को कुल सैलरी का 12% योगदान करना होता है।
- NPS: अधिक लचीलापन प्रदान करता है, जहां नियोक्ता आपके बेसिक सैलरी का 14% तक योगदान कर सकते हैं।
NPS और EPF पर टैक्स नियम
NPS पर टैक्स बेनिफिट्स
NPS में नियोक्ता का योगदान इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCD (2) के तहत कर कटौती के लिए योग्य है। यह बेसिक सैलरी के 14% तक हो सकता है और कर लाभ प्रदान करता है। इसमें कर्मचारी योगदान की कोई अनिवार्यता नहीं होती है।
EPF पर टैक्स बेनिफिट्स
EPF में नियोक्ता का योगदान आमतौर पर कर-मुक्त (Tax-Free) होता है, लेकिन EPF, NPS और अन्य सुपरएनुएशन फंड में कुल योगदान 7.5 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक होने पर अतिरिक्त राशि टैक्सेबल हो जाती है। नई टैक्स व्यवस्था में कर्मचारी के योगदान पर कोई टैक्स डिडक्शन नहीं मिलता है।
EPF बनाम NPS: कौन बेहतर?
पोर्टेबिलिटी और फ्लेक्सिबिलिटी
EPF खाते को ट्रांसफर करना नौकरी बदलने के दौरान जटिल हो सकता है, क्योंकि इसमें नियोक्ता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसके विपरीत, NPS में अधिक फ्लेक्सिबिलिटी होती है और यह किसी भी नियोक्ता से स्वतंत्र रूप से कंटिन्यू किया जा सकता है। अगर आपका नया एंप्लॉयर NPS प्रदान करता है, तो आप उसमें योगदान जारी रख सकते हैं।
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रिटर्न की तुलना
EPF में सालाना ब्याज दर EPFO द्वारा निर्धारित की जाती है, जो FY 2025 के लिए 8.25% तय की गई है। जबकि NPS में मार्केट लिंक्ड रिटर्न होता है, जो लंबी अवधि में EPF से अधिक ग्रोथ प्रदान कर सकता है।
रिटायरमेंट के बाद निकासी नियम
- NPS: रिटायरमेंट पर 60% निकासी टैक्स-फ्री होती है, जबकि 40% राशि एन्युटी में निवेश करनी होती है, जिससे पेंशन प्राप्त होती है।
- EPF: पांच साल के बाद 100% निकासी टैक्स-फ्री होती है, जिससे यह अधिक सुविधाजनक हो जाता है।
EPS: क्या आपको यह सुविधा मिलेगी?
कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) EPF का एक हिस्सा है, जिसमें नियोक्ता कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 8.33% योगदान करता है। अगर आपकी बेसिक सैलरी 15,000 रुपये से कम है, तो आपको EPS के तहत अधिकतम 7,500 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिल सकती है। हालांकि, अगर आपकी जॉइनिंग 1 सितंबर 2014 के बाद हुई और बेसिक सैलरी 15,000 रुपये से अधिक है, तो EPS का योगदान EPF में जुड़ जाएगा।
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