श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित वेतन सीमा बढ़ोतरी, यदि स्वीकृत होती है, तो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की पेंशन में महत्वपूर्ण वृद्धि लाएगी। वर्तमान में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए वेतन सीमा 15,000 रुपये है। इसे बढ़ाकर 21,000 रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है, जिससे कर्मचारियों को अधिक पेंशन और बेहतर भविष्य निधि का लाभ मिलेगा।
प्रस्तावित बदलाव और प्रभाव
वर्तमान में, EPS पेंशन की गणना के लिए 15,000 रुपये की वेतन सीमा निर्धारित है। यदि इस सीमा को 21,000 रुपये तक बढ़ा दिया जाता है, तो यह पेंशन भुगतान में वृद्धि का कारण बनेगा। उदाहरण के लिए, मौजूदा नियमों के तहत अधिकतम पेंशन योग्य वेतन 15,000 रुपये होने पर अधिकतम पेंशन 7,500 रुपये प्रति माह होती है। प्रस्तावित वृद्धि के बाद, यह पेंशन बढ़कर 10,050 रुपये प्रति माह हो जाएगी, जिससे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आय में 2,550 रुपये प्रति माह की वृद्धि होगी।
पेंशन गणना का नया फॉर्मूला
EPS पेंशन की गणना एक साधारण फॉर्मूला के आधार पर की जाती है:
फॉर्मूला: ईपीएस पेंशन = (औसत वेतन x पेंशन योग्य सेवा) / 70
इस फॉर्मूला में औसत वेतन, मूल वेतन और महंगाई भत्ता (DA) का योग होता है। वर्तमान में, अधिकतम पेंशन योग्य सेवा 35 वर्ष है। प्रस्तावित 21,000 रुपये की वेतन सीमा के आधार पर, अधिकतम पेंशन की गणना 10,050 रुपये प्रति माह होगी, जो मौजूदा पेंशन से अधिक है।
योगदान में बदलाव
इस बदलाव से नियोक्ताओं के योगदान में भी वृद्धि होगी। वर्तमान नियमों के तहत, नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का 8.33% EPS में योगदान देता है। 21,000 रुपये की प्रस्तावित वेतन सीमा के तहत, नियोक्ता का अधिकतम योगदान 1,750 रुपये प्रति माह होगा, जो मौजूदा योगदान से अधिक होगा।
EPF और EPS में अधिक योगदान
वेतन सीमा में यह वृद्धि न केवल पेंशन में वृद्धि सुनिश्चित करेगी, बल्कि कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में भी अधिक योगदान सुनिश्चित करेगी। इससे सेवानिवृत्ति के बाद की वित्तीय सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार होगा। उदाहरण के लिए, यदि कोई कर्मचारी 21,000 रुपये के वेतन के साथ अक्टूबर 2024 में कंपनी में शामिल होता है, तो उसके EPF में कुल अंशदान 3,290 रुपये प्रति माह होगा।
निष्कर्ष
वेतन सीमा में प्रस्तावित वृद्धि संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इससे न केवल उनकी पेंशन में वृद्धि होगी, बल्कि EPF में भी अधिक योगदान सुनिश्चित होगा, जिससे उनकी सेवानिवृत्ति के बाद की आय में सुधार होगा। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए राहत और भविष्य में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने का एक प्रभावी तरीका साबित हो सकता है, जो अपनी सेवानिवृत्ति के लिए लंबे समय से बेहतर लाभ की उम्मीद कर रहे हैं।