
हर नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए कर्मचारी भविष्य निधि-EPF और कर्मचारी पेंशन योजना-EPS एक महत्वपूर्ण बचत योजना होती है। यह रिटायरमेंट के बाद आर्थिक सुरक्षा देने का काम करता है। कई लोग यह नहीं जानते कि उनकी सैलरी से कटने वाले PF और पेंशन के पैसे को सही तरीके से प्लान करके वे अपने रिटायरमेंट के समय एक बड़ी रकम जमा कर सकते हैं। यदि आप भी यह समझना चाहते हैं कि आपकी सैलरी से कटने वाला पैसा रिटायरमेंट के समय कैसे करोड़ों में तब्दील हो सकता है, तो यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी रहेगा।
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EPF और EPS में योगदान कैसे होता है?
EPF में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12% योगदान करते हैं। हालांकि, नियोक्ता के 12% योगदान में से 8.33% EPS में चला जाता है और बचा हुआ 3.67% EPF में जमा होता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर ₹50,000 है, तो उसका कुल EPF योगदान ₹6,000 होगा। इसमें से कर्मचारी का पूरा 12% यानी ₹6,000 EPF में जाएगा, जबकि नियोक्ता का ₹4,165 EPS में और ₹1,835 EPF में जमा होगा।
रिटायरमेंट के समय EPF में कितनी राशि जमा होगी?
अगर कोई व्यक्ति 30 साल की उम्र में नौकरी शुरू करता है और 60 साल तक EPF में नियमित योगदान देता है, तो वह रिटायरमेंट तक करीब 2.5 करोड़ रुपये जमा कर सकता है। इसमें सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज दर (वर्तमान में 8.1%) से मिलने वाला कंपाउंड इंटरेस्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। EPF में दीर्घकालिक निवेश करने से यह एक मजबूत रिटायरमेंट फंड बन सकता है।
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EPS के तहत पेंशन की गणना कैसे होती है?
EPS में पेंशन योग्य वेतन अधिकतम ₹15,000 प्रति माह माना जाता है। पेंशन की गणना निम्नलिखित फॉर्मूला के आधार पर की जाती है:
पेंशन = (पेंशन योग्य वेतन x सेवा वर्ष) / 70
यदि किसी कर्मचारी ने 20 वर्षों तक सेवा की है, तो उसकी मासिक पेंशन होगी:
पेंशन = (₹15,000 x 20) / 70 = ₹4,285.71
यदि सेवा अवधि 10 वर्ष से कम हो तो कर्मचारी को पेंशन का लाभ नहीं मिलता, लेकिन वह EPS निकासी कर सकता है।
पेंशन बढ़ाने के विकल्प क्या हैं?
कर्मचारी 58 वर्ष की आयु के बाद भी नौकरी जारी रखते हैं, तो वे 60 वर्ष की उम्र तक पेंशन लेना स्थगित कर सकते हैं। इससे उन्हें प्रति वर्ष 4% अतिरिक्त पेंशन लाभ मिलेगा। इस तरह, यदि कोई व्यक्ति 60 वर्ष की उम्र में पेंशन लेना शुरू करता है, तो उसे 8% अधिक पेंशन मिलेगी। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो अपनी रिटायरमेंट की प्लानिंग लंबी अवधि के लिए कर रहे हैं।
रिटायरमेंट के लिए सही योजना कैसे बनाएं?
EPF और EPS को प्रभावी रूप से मैनेज करने के लिए कर्मचारियों को बीच में अनावश्यक निकासी से बचना चाहिए। कंपाउंड इंटरेस्ट का लाभ उठाने के लिए लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यदि आपकी सैलरी अधिक है, तो आप VPF (Voluntary Provident Fund) के जरिए अतिरिक्त योगदान कर सकते हैं, जिससे आपका कुल रिटायरमेंट फंड और बड़ा हो जाएगा।
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