
सरकारी कर्मचारियों के लिए नई छुट्टी व्यवस्था एक बड़ा राहत भरा कदम साबित हो सकती है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक नई नीति के तहत ऑर्गन डोनेशन (Organ Donation) करने वाले कर्मचारियों को 42 दिनों की स्पेशल लीव (Special Leave) देने की घोषणा की है। यही नहीं, स्टिलबर्थ यानी मृत शिशु जन्म की स्थिति में भी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) का पूरा लाभ मिलेगा। इस फैसले से न केवल कर्मचारियों को सहानुभूतिपूर्ण सहयोग मिलेगा, बल्कि वर्क-लाइफ बैलेंस को भी मजबूती मिलेगी।
यह भी देखें: EPS पेंशनर्स के लिए बड़ी खुशखबरी! EPFO 3.0 से सभी समस्याएं अब बस 1 दिन में होंगी हल – जानें कैसे
ऑर्गन डोनेशन पर मिलेगा 42 दिनों का विशेष अवकाश
ऑर्गन डोनेशन जैसे परोपकारी कार्यों के लिए अब सरकारी कर्मचारियों को 42 दिनों की स्पेशल कैजुअल लीव दी जाएगी। यह छुट्टी सर्जरी की जटिलता या ऑपरेशन के आकार पर आधारित नहीं होगी, बल्कि डॉक्टर की सिफारिश पर निर्धारित की जाएगी। यदि डॉक्टर को लगता है कि सर्जरी से पहले भर्ती जरूरी है, तो छुट्टी की शुरुआत सर्जरी से एक सप्ताह पहले भी हो सकती है। इस अवधि में कर्मचारी की पूरी सैलरी और सेवा लाभ बरकरार रहेंगे।
महिला कर्मचारियों को स्टिलबर्थ पर भी मिलेगी पूरी मैटरनिटी लीव
केंद्र सरकार के इस बदलाव में एक और संवेदनशील पहल की गई है, जिसमें स्टिलबर्थ (Stillbirth) की स्थिति में महिला कर्मचारियों को भी वही मैटरनिटी लीव मिलेगी, जो जीवित शिशु के जन्म पर दी जाती है। यानी छह महीने की पूरी छुट्टी, जिससे महिला कर्मचारी शारीरिक और मानसिक रूप से संभल सकें। यह निर्णय मातृत्व के कठिन क्षणों में सहानुभूति और सहारा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह भी देखें: EPF बैलेंस चेक करने में आ रही है दिक्कत? यहां जानिए मिनटों में बैलेंस देखने का सबसे आसान तरीका
अन्य सरकारी छुट्टियों की व्यवस्था और फायदे
सरकारी कर्मचारियों को पहले से ही कई प्रकार की छुट्टियों का लाभ मिलता है, जैसे कि मैटरनिटी और पैटरनिटी लीव, मेडिकल लीव, और गजटेड हॉलीडे। इसके अलावा, त्योहारों के दौरान इंटरेस्ट-फ्री एडवांस, ट्रैवल कंसेशंस, और विशेष सुविधाएं जैसे LTC आदि भी उनकी सुविधा के लिए उपलब्ध हैं। अब ऑर्गन डोनेशन और स्टिलबर्थ जैसी विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए छुट्टियों के दायरे का विस्तार कर दिया गया है, जिससे कर्मचारी अधिक सुरक्षित और सम्मानित महसूस करेंगे।
वर्क-लाइफ बैलेंस की दिशा में एक सकारात्मक कदम
यह नीति न केवल एक सामाजिक दृष्टिकोण से सही है, बल्कि यह कर्मचारियों के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देती है। विशेष रूप से रक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे तनावपूर्ण क्षेत्रों में कार्यरत कर्मचारियों को इससे बहुत राहत मिलेगी। सरकार का यह कदम काम के दबाव और व्यक्तिगत जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाने में सहायक साबित हो सकता है।
यह भी देखें: EPF की हर शिकायत का यहाँ है समाधान, घर बैठे करें ये काम