वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) को वापस लाना अब वित्तीय दृष्टि से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि OPS को दोबारा लागू करना उन नागरिकों के लिए हानिकारक होगा जो सरकारी नौकरी में नहीं हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई राज्य सरकारें NPS से OPS की ओर लौटने का प्रयास कर रही हैं।
पेंशन सुधार पर समिति का गठन
वित्त मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना की समीक्षा करने और NPS में आवश्यक बदलाव का सुझाव देने के लिए पिछले साल एक समिति का गठन किया था। इस समिति का नेतृत्व वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन कर रहे हैं। समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य पेंशन योजना में सुधार लाना और सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को सुरक्षित और अधिक लाभदायक बनाना है।
कर्मचारियों की हैं ये चिताएँ
समिति के समक्ष सरकारी कर्मचारियों ने तीन मुख्य चिंताएँ रखी हैं:
- NPS की अस्थिरता: कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस शेयर बाजार से जुड़ा है, जिससे उन्हें उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। वे चाहते हैं कि पेंशन की राशि सुनिश्चित हो ताकि उन्हें भविष्य में आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े।
- महंगाई भत्ते की व्यवस्था: सरकारी कर्मचारी चाहते हैं कि उनकी पेंशन में महंगाई भत्ता जोड़ा जाए ताकि पेंशन की राशि महंगाई के अनुसार समायोजित हो सके और उनकी जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
- न्यूनतम पेंशन: कर्मचारी यह भी चाहते हैं कि यदि किसी ने पूरी नौकरी यानी 30 साल तक काम नहीं किया है, तो उसके लिए भी कुछ न्यूनतम पेंशन निर्धारित की जाए। यह उन कर्मचारियों के लिए आवश्यक है जिन्होंने किसी कारणवश अपनी सेवा पूरी नहीं की है।
वित्त सचिव ने बताई सरकार की चिंता
सोमनाथन ने स्पष्ट किया कि OPS को लागू करने से सरकारी बजट का बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में चला जाएगा। इससे सरकार के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, “सरकार का काम केवल टैक्स जमा करना और सरकारी कर्मचारियों को वेतन देना नहीं है। पेंशन का भार भविष्य की पीढ़ी पर पड़ेगा और बाद की सरकारों पर इसका दबाव रहेगा।”
सोमनाथन ने यह भी बताया कि NPS के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम आशाओं को पूरा किया जा सकता है, लेकिन इससे भी सरकारी बजट पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। उन्होंने कहा कि NPS को लेकर जो न्यूनतम आशाएं हैं, उन पर विचार किया जा सकता है, लेकिन इससे लागत में बढ़ोतरी होगी।
NPS और OPS के बीच अंतर
पुरानी पेंशन योजना (OPS): ओपीएस के तहत, पूर्व-2004 सरकारी कर्मचारियों को उनकी अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था, बशर्ते उन्होंने कम से कम 20 साल की सेवा की हो। जिन कर्मचारियों की सेवा 10-20 साल के बीच थी, उन्हें अनुपातिक पेंशन मिलती थी, जो महंगाई के अनुसार समायोजित होती थी।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS): एनपीएस के तहत, सरकारी कर्मचारियों को उनके वेतन का एक निश्चित हिस्सा पेंशन फंड में निवेश करना होता है। इसमें से कम से कम 40% का निवेश एन्युटीज में किया जाता है ताकि मासिक पेंशन उत्पन्न हो सके। शेष 60% राशि को बिना टैक्स के निकाला जा सकता है। हालांकि, एनपीएस में पेंशन की राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है और यह सुनिश्चित नहीं होती।
नई पेंशन प्रणाली के लाभ
वित्त सचिव ने नई पेंशन प्रणाली को नागरिकों के लिए निवेश के लिए स्वतंत्रता प्रदान करने के नजरिए से देखा है। अब नागरिक खुद निर्णय ले सकते हैं कि वे कहां निवेश करना चाहते हैं, और विभिन्न वित्तीय संस्थान उन्हें बेहतर रिटर्न का विकल्प प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि नई कर प्रणाली को भी इसी सोच के तहत डिज़ाइन किया गया है, जिससे नागरिकों को अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और वे अपने वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।
समिति के सुझाव और संभावित सुधार
समिति ने सुझाव दिया है कि NPS के तहत कर्मचारियों के लिए 50% तक की गारंटीकृत पेंशन राशि सुनिश्चित की जाए। यह प्रस्ताव NPS को अधिक लाभदायक और सुरक्षित बनाने के लिए है। समिति ने एनपीएस को लेकर आंध्र प्रदेश के मॉडल का अध्ययन किया, जिसमें गारंटीकृत पेंशन प्रणाली (APGPS) लागू की गई है। इस मॉडल के तहत, यदि एन्युटी की राशि कम होती है, तो सरकार उस कमी को पूरा करती है, जिससे कर्मचारियों को उनकी अंतिम वेतन का 50% पेंशन मिल सके।
सरकार की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
वित्त सचिव ने यह भी बताया कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना वित्तीय दृष्टि से संभव नहीं है, लेकिन NPS के तहत कुछ सुधार किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि NPS को लेकर कर्मचारियों की न्यूनतम आशाओं को पूरा करने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए सरकार को वित्तीय बोझ उठाना पड़ेगा।
वित्त सचिव टी.वी. सोमनाथन के बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लाना संभव नहीं है। हालांकि, सरकार NPS के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम आशाओं को पूरा करने के लिए कदम उठा सकती है। समिति के सुझावों पर विचार करने के बाद, सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि पेंशन प्रणाली न केवल वित्तीय रूप से स्थिर हो, बल्कि कर्मचारियों के भविष्य को भी सुरक्षित रखे। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार एनपीएस को और अधिक लाभदायक और सुरक्षित बनाने के लिए सुधार करे, जिससे सरकारी कर्मचारियों को भविष्य में किसी भी प्रकार की आर्थिक असुरक्षा का सामना न करना पड़े।
समिति के सुझावों और सरकार के कदमों का आगामी समय में कैसा प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। कर्मचारी समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को संतुलित और व्यावहारिक निर्णय लेना होगा।
Mp mla giving ops it possible but other workers ops not possible what’s justice government
Suggestion:- Date of enrollment Fire engine driver cum pump operator on 09.09.2009 VRS from service medical ground on 24.10.2023. What kind doing pension and medical allowance please discription.
Ydi jawano ko OPS lagu krne se sarkar par bhar padne ki sambhavna h to neta logo ki pension bhi band kr do . Jo 2-2, 3-3 pension le rhe hain, es se bhi sarkar ka bhar kuchh to km ho hi jayega. Jitna neta logo ka accommodation, security, Transport ,residence per sewadar bijli pani, phon, yatra me sarkar ka ek saal ka kharch hota h utna ek jawan 20 saal me bhi nhi kma pata h.
जब कर्मचारियों की पेंशन से सरकार प्रवृत्ति है बोझ पड़ता है तो नेताओं की पेंशन से नहीं पड़ता होगा हर गली में एक नेता खड़ा हो रखा है एक बार इलेक्शन हारने के बाद भी उसकी पेंशन चालू हो जाती है और सरकारी कर्मचारी बेचारा 30 साल काम करने के बाद भी है उसे पेंशन का अधिकार नहीं बहुत गलत नीति है सरकार की l चुनाव में अरबो रुपए खर्च होते हैं उनसे सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता l
If you think about minimum pension to the pensioners to be given is overload and financial burdon then it would be better the pension should be stoppedto the parliament members whether this is MLA or MP. Because they are getting more than one lakh as monthly pension plus others source of income as graft and govt.scheme etc.if theif pension does not cause of financial burdon as to how it is burden to the others pension who are demanding only rs.7500 plus DA
M.P. MLA.. की भी पेंशन बंद होना चाहिए
Modi purani pension dede ham garibo ko bhi Jaise Apne mla aur neta oo Ko deta hai
एमपी, एम एल ए व मंत्री गण क्यौ पुरानी पेन्शन ले रहे है और वह भी जितनी बार बनते है उतनी बार जबकी यह नौकरी नही है 30-35 वर्ष नौकरी करने के बाद भी ओपीएस क्यों नही। ईनकी टैक्स फ्री पेन्शन है ।उसके लिए वित्त का भार नही पडता । ईन्है शर्म आनी चाहिए। यह सरकार जल्दी डूबेगी
Sarkar jarrur dubegi vidhayko ko ops me vitamin bhar nahi batata is bar koi samjhota nahi ladai apparently ki yes Karo ya satta se hato
पुरानी पेंशन समाप्त करने वाले प्रधानमंत्री आजीवन पुरानी पेंशन पर जीवित रहे।
Apney aap kyun le rahen hain purani pension politicians? Jabab den