EPS Pension Hike: ₹1000 से सीधा ₹7500 तक बढ़ सकती है पेंशन! संसद समिति की सरकार को सिफारिश – जानिए कब होगा फैसला

सिर्फ ₹1000 पेंशन में जी रहे लाखों बुजुर्गों के लिए राहत की खबर! संसद समिति ने EPS में न्यूनतम पेंशन बढ़ाकर ₹7500 करने की सिफारिश की है। क्या सरकार मानेगी? कब मिलेगा फायदा? जानिए पूरी डिटेल जो आपके या आपके परिवार के भविष्य को बदल सकती है।

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Written by Rohit Kumar

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EPS पेंशन ₹1000 से ₹7500! संसद समिति की सिफारिश, फैसला जल्द

EPS-Pension योजना से जुड़े लाखों पेंशनधारकों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। संसद की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को सिफारिश की है कि EPS यानी Employees’ Pension Scheme के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन राशि को ₹1000 से बढ़ाकर ₹7500 किया जाए। मौजूदा समय में बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की लागत को देखते हुए यह प्रस्ताव न केवल आवश्यक है, बल्कि समय की मांग भी बन चुका है। यह कदम अगर लागू होता है, तो यह पेंशनधारकों के जीवन में एक बड़ा आर्थिक संबल प्रदान करेगा।

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संसद समिति की रिपोर्ट में क्या है खास

संसद की लेबर पर बनी स्थायी समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ₹1000 की न्यूनतम पेंशन राशि आज की जरूरतों के हिसाब से बहुत कम है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस राशि में कोई सम्मानजनक जीवन जीना संभव नहीं है, खासकर जब दवाइयों, राशन और किराए जैसी बुनियादी जरूरतों की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। समिति ने EPS-95 पेंशन योजना के सभी लाभार्थियों के लिए यह वृद्धि प्रस्तावित की है और इसे शीघ्र लागू करने की मांग की है।

वृद्ध पेंशनधारकों की मौजूदा स्थिति और चुनौतियाँ

EPS-95 योजना के तहत आने वाले लाखों पेंशनर पहले से ही कम पेंशन राशि से जूझ रहे हैं। ₹1000 जैसी नाममात्र की पेंशन से बुजुर्गों का गुजर-बसर मुश्किल हो रहा है। न स्वास्थ्य बीमा है, न पर्याप्त वित्तीय सहायता। कई मामलों में यह राशि दवा या अस्पताल के एक बिल तक को पूरा नहीं कर पाती। ऐसे में ₹7500 की प्रस्तावित पेंशन उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद कर सकती है।

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पेंशन वृद्धि से जुड़ा वित्तीय परिप्रेक्ष्य

सरकार पर इस पेंशन वृद्धि से वित्तीय भार अवश्य पड़ेगा, लेकिन यह भार सामाजिक सुरक्षा की दिशा में एक आवश्यक निवेश माना जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार इस योजना में कुछ योगदान बढ़ाए, या EPS फंड की संरचना में थोड़े बदलाव करे, तो इस पेंशन वृद्धि को सुचारु रूप से लागू किया जा सकता है। सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के तहत भी यह कदम सही दिशा में उठाया गया निर्णय होगा।

सरकार की प्रतिक्रिया और संभावित समयसीमा

फिलहाल सरकार ने इस सिफारिश पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर विचार जारी है। चूंकि यह मामला लाखों बुजुर्गों की जीविका से जुड़ा है, ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि आगामी संसद सत्र में इस पर गंभीर चर्चा होगी और संभवतः वर्ष के अंत तक कोई ठोस निर्णय सामने आ सकता है।

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