EPS 95 Higher Pension: सुप्रीम कोर्ट और सरकार को EPFO कर रहा नजरंदाज, कानूनी लड़ाई की राह पर निकले कर्मचारी

ईपीएस 95 हायर पेंशन को लेकर भिलाई स्टील प्लांट के 11 हजार कर्मचारी चिंतित हैं। EPFO की खामोशी के खिलाफ वे कानूनी लड़ाई की राह पर हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हो रहा।

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Written by Rohit Kumar

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EPFO के खिलाफ कानूनी लड़ाई पर निकले कर्मचारी, उच्च पेंशन को लेकर क्या होगी चुनौती?

EPS 95 Higher Pension: भारतीय स्टील उद्योग के अग्रणी, भिलाई स्टील प्लांट (BSP) के 11,000 से अधिक अधिकारी और कर्मचारी, EPS 95 हायर पेंशन योजना को लेकर चिंतित हैं। यह चिंता कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की खामोशी से उपजी है, जिसने इस योजना के अंतर्गत पेंशन के विस्तार के आवेदनों को लटकाए रखा है।

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EPS 95 हर पेंशन क्यों है जरूरी

EPS 95 हायर पेंशन योजना का मूल उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को बेहतर जीवन सुनिश्चित करना है। यह योजना विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है जिन्होंने अपने करियर के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया है और अपनी अंशदान राशि को बढ़ाया है।

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समस्याएँ और संघर्ष

भिलाई स्टील प्लांट के पूर्व वित्तीय महाप्रबंधक, बीएन अग्रवाल, ने इस कारण को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष की कमान संभाली है। उनका मानना है कि EPFO द्वारा देरी के कारण न केवल पेंशनभोगियों का अधिकार प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह कानूनी प्रक्रिया का भी उल्लंघन है।

कानूनी मोर्चा

भिलाई स्टील प्लांट के पीएफ ट्रस्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों को आधार बनाकर यह लड़ाई अब कानूनी रूप ले चुकी है। EPFO के रवैये के खिलाफ उठाया गया यह कदम, विभिन्न न्यायिक और प्रशासनिक चुनौतियों को सामने लाता है।

वित्तीय जटिलताएं

EPFO द्वारा जारी डिमांड नोटिस के बाद जमा किए गए लाखों रुपये वापस कर दिए गए, जिससे पेंशनभोगियों में असंतोष और निराशा बढ़ी है। इससे यह प्रश्न उठता है कि आखिर EPFO की मंशा क्या है और यह वित्तीय प्रबंधन में कैसे योगदान दे रहा है।

नैतिक और न्यायिक प्रश्न

बड़ा प्रश्न यह है कि क्या EPFO सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का अनुपालन कर रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? इस बात को लेकर अधिकारियों और पेंशनभोगियों के बीच मतभेद और तनाव है।

EPS 95 हायर पेंशन योजना से जुड़े मुद्दे न केवल आर्थिक बल्कि नैतिक और कानूनी चुनौतियों को भी प्रस्तुत करते हैं। यह मामला न्यायिक समीक्षा की मांग करता है और इससे संबंधित सभी पक्षों को समुचित न्याय और निष्पक्षता की उम्मीद है।

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