EPFO: कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) भारतीय श्रमिकों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा योजना है, जिसका प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा किया जाता है। यह योजना उन कंपनियों के लिए अनिवार्य है जहां 20 या अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इस योजना के तहत, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को हर महीने कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ता का एक निश्चित प्रतिशत जमा करना होता है।
EPF में रजिस्ट्रेशन और UAN
हर कर्मचारी जो EPF के अंतर्गत आता है, उसे एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) प्रदान किया जाता है। यह UAN पूरी नौकरी की अवधि के दौरान स्थिर रहता है और इसकी मदद से कर्मचारी अपने PF खाते की जानकारी और जमा राशि को आसानी से प्रबंधित कर सकते हैं।
टैक्स लाभ
EPF में योगदान के कई टैक्स लाभ हैं। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत, कर्मचारी के योगदान पर 1.5 लाख रुपये तक की कटौती की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान पर कोई आयकर नहीं लगता है जब तक कि यह कुल वेतन का 12% से अधिक न हो।
टैक्स पर नजरिया
- पांच वर्ष के नियम: यदि कोई कर्मचारी EPF में पांच साल तक योगदान करता है और उसके बाद पैसे निकालता है, तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगता।
- शुरुआती निकासी पर टैक्स: यदि पांच वर्ष से पहले निकासी की जाती है, तो निकाली गई राशि पर टैक्स लग सकता है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं या नियोक्ता का व्यवसाय बंद होना, टैक्स से छूट प्रदान की जाती है।
नए टैक्स नियम
वित्त अधिनियम 2021 के अनुसार, 2.5 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक EPF योगदान पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा। यदि कर्मचारी केवल खुद से योगदान कर रहा है तो ब्याज पर टैक्स नहीं लगेगा जब तक कि योगदान 5 लाख रुपये से अधिक न हो।
निष्कर्ष
EPF भारतीय कर्मचारियों के लिए न केवल एक बचत उपकरण है बल्कि यह आयकर लाभ प्रदान करता है जो उनके वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करता है। सावधानीपूर्वक नियोजन और नियमों की समझ के साथ, कर्मचारी अपनी कठिनाई से अर्जित धन का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं।