EPFO Pension Scheme: निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए भविष्य की आर्थिक स्थिरता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस दिशा में EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) द्वारा संचालित EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस योजना का उद्देश्य कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। सरकार इस योजना के माध्यम से सुनिश्चित करती है कि कर्मचारी अपने रिटायरमेंट के बाद भी नियमित आय प्राप्त कर सकें, जिससे उनका भविष्य खुशहाल और सुरक्षित हो।
EPS योजना के प्रमुख लाभ
- रिटायरमेंट के बाद पेंशन: EPS योजना के तहत कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन मिलती है, जो उनके मासिक खर्चों को पूरा करने में सहायक होती है। यह पेंशन कर्मचारी की सेवा अवधि और उसके वेतन के आधार पर तय की जाती है।
- वेतन का हिस्सा EPS में जमा: कर्मचारी के वेतन का 12 प्रतिशत EPS खाते में जमा होता है, जो कि EPFO द्वारा नियंत्रित और विनियमित किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कर्मचारी का भविष्य सुरक्षित हो।
- दो हिस्सों में पीएफ का बंटवारा: कंपनी द्वारा पीएफ को दो हिस्सों में बांटा जाता है। पहला हिस्सा, जो कि 8.33 प्रतिशत होता है, EPS (कर्मचारी पेंशन स्कीम) में जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा 3.67 प्रतिशत EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) स्कीम में जमा होता है।
न्यूनतम पेंशन की बढ़ती मांग
साल 2014 से EPS-1995 योजना के तहत सरकार ने न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये प्रतिमाह तय की थी। लेकिन अब लंबे समय से यह मांग उठ रही है कि इस न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये प्रतिमाह किया जाए। यह मांग इसलिए उठी है क्योंकि मौजूदा पेंशन राशि वर्तमान जीवन स्तर और बढ़ती महंगाई को देखते हुए अपर्याप्त मानी जा रही है। EPS-95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति ने इस मामले को सरकार के समक्ष जोरदार तरीके से उठाया है और साथ ही बुजुर्गों के लिए महंगाई भत्ता और मुफ्त चिकित्सा सुविधा की भी मांग की है।
पेंशन पात्रता के महत्वपूर्ण नियम
EPS योजना के तहत पेंशन प्राप्त करने के लिए कुछ पात्रता शर्तें होती हैं। कर्मचारी को पेंशन प्राप्त करने के लिए कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करनी होती है। अगर कोई कर्मचारी 10 साल से कम सेवा में रिटायर हो जाता है, तो उसे पेंशन का लाभ नहीं मिल पाता। इस प्रकार, यह जरूरी है कि कर्मचारी अपनी सेवा अवधि पूरी करें ताकि उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन का पूरा लाभ मिल सके।
ऐसे मिलेगी 7,500 रुपये प्रति माह पेंशन
कर्मचारी की पेंशन राशि उसकी सेवा अवधि और योगदान पर निर्भर करती है। अगर कोई कर्मचारी 23 वर्ष की आयु में EPS योजना में शामिल होता है और 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होता है, तथा उसने 15,000 रुपये मासिक वेतन पर योगदान दिया है, तो 35 साल की सेवा पूरी करने के बाद उसे लगभग 7,500 रुपये प्रतिमाह पेंशन मिल सकती है। यह गणना EPFO के निर्धारित मानदंडों पर आधारित होती है।
निष्कर्ष
EPFO पेंशन योजना निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है। यह न केवल रिटायरमेंट के बाद उनकी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में सहायक होती है, बल्कि उनके भविष्य को भी सुरक्षित बनाती है। न्यूनतम पेंशन की बढ़ती मांग और सरकार की इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में पेंशन राशि में वृद्धि होगी, जिससे कर्मचारी एक बेहतर और सुरक्षित रिटायरमेंट जीवन जी सकें।