
एक साथ पेंशन कंट्रीब्यूशन करने वाले कर्मचारियों को अब उच्च पेंशन (Higher Pension) का लाभ मिलेगा। यह फैसला केरल हाईकोर्ट ने दिया है, जो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। यह निर्णय उन कर्मचारियों के पक्ष में गया है जिन्होंने वास्तविक वेतन के आधार पर एकमुश्त (Bulk) पेंशन योगदान किया था और जिन्हें EPFO द्वारा हायर पेंशन से वंचित कर दिया गया था।
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अदालत का स्पष्ट रुख और EPFO की आपत्ति
केरल उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए EPFO की आपत्ति को खारिज कर दिया कि अगर संगठन ने वास्तविक वेतन पर योगदान स्वीकार कर लिया है, तो फिर हायर पेंशन देने से मना करना तर्कसंगत नहीं है। मिल्मा (MILMA) के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने यह याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने अदालत से यह स्पष्ट करने की मांग की थी कि उनके एकमुश्त योगदान को मान्य कर हायर पेंशन दी जाए। EPFO का यह कहना कि पेंशन कंट्रीब्यूशन संबंधित महीनों में नहीं किया गया था, अदालत ने अवैध और असंगत ठहराया।
सरकार के पुराने निर्देशों से उपजे विवाद
यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब मिल्मा ने पहले अपने कर्मचारियों के वेतन के वास्तविक हिस्से पर पेंशन योगदान किया, लेकिन बाद में सरकार के निर्देश पर यह योगदान वैधानिक सीमा तक सीमित कर दिया गया। इससे कई कर्मचारियों को यह डर सताने लगा कि उनका पेंशन लाभ प्रभावित होगा। इस कारण कर्मचारियों और उनके यूनियन ने केरल हाईकोर्ट का रुख किया और यह मामला न्यायिक समीक्षा में गया।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए नियोक्ता को निर्देश दिया कि अतिरिक्त पेंशन राशि को एक अलग खाते में 9% ब्याज के साथ सुरक्षित रखा जाए और यदि निर्णय कर्मचारियों के पक्ष में आता है तो EPFO को वह राशि स्थानांतरित कर दी जाए। आखिरकार यह साफ हो गया कि वैधानिक सीमा से अधिक पेंशन योगदान स्वीकार किया जा सकता है और कर्मचारियों को उसी के अनुसार लाभ मिलना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट की पृष्ठभूमि और उच्च पेंशन का अधिकार
इस निर्णय का कानूनी आधार 2014 की कर्मचारी पेंशन योजना संशोधन (Employee Pension Scheme Amendment) और सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले से जुड़ा है, जिसमें कोर्ट ने संशोधित योजना को वैध ठहराते हुए यह स्पष्ट किया था कि जिन कर्मचारियों ने पहले उच्च पेंशन का विकल्प नहीं चुना था, उन्हें छह महीने का अतिरिक्त मौका दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ₹15,000 मासिक वेतन की सीमा को भी खारिज कर दिया था, जिससे अधिक वेतन वाले कर्मचारियों को भी हायर पेंशन का मार्ग मिल गया।
EPFO की भूमिका और अगली प्रक्रिया
अब EPFO को इस फैसले के आलोक में तीन महीने के भीतर उन कर्मचारियों को हायर पेंशन प्रदान करनी होगी जिन्होंने एकमुश्त पेंशन योगदान किया है। यह न सिर्फ मिल्मा के कर्मचारियों के लिए राहत है, बल्कि देश भर के उन लाखों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की किरण है जो लंबे समय से उच्च पेंशन के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे थे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि EPFO इस आदेश को कैसे लागू करता है और क्या इससे संबंधित मामलों में नया दृष्टिकोण अपनाता है।
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