देशभर में NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) को लेकर कर्मचारियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है। हरियाणा, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में कर्मचारी नियमित रूप से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी पर कर्मचारियों का विश्वास नहीं है, क्योंकि उनकी एकमात्र मांग OPS की बहाली है, NPS में संशोधन नहीं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में OPS का मुद्दा
बता दें, उत्तर प्रदेश विधानसभा में भी OPS का मुद्दा उठा। सपा विधायक डॉ. मानसिंह यादव ने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करेगी और क्या पुरानी पेंशन योजना लागू न होने के कारण कर्मचारियों में असंतोष है। वित्त मंत्री ने जवाब दिया कि सरकार की OPS बहाल करने की कोई योजना नहीं है और NPS को लेकर कर्मचारियों में कोई असंतोष नहीं है।
कर्मचारियों का विरोध
डॉ. मानसिंह यादव ने वित्त मंत्री के बयान को झूठा बताया और कहा कि NPS के खिलाफ असंतोष स्पष्ट है। उन्होंने उदाहरण दिया कि 1 अक्टूबर 2023 को रामलीला मैदान पर कर्मचारी भजन-कीर्तन करने नहीं गए थे, बल्कि NPS के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधा, यह याद दिलाते हुए कि उन्होंने खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान OPS की बहाली की मांग की थी।
मध्य प्रदेश सरकार का आदेश
मध्य प्रदेश सरकार ने NPS के तहत कर्मचारियों को अपना फंड मैनेजर चुनने की अनुमति देने का आदेश जारी किया है। सरकार का कहना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और कर्मचारी खुद जान सकेंगे कि उनका पैसा कहां निवेश हो रहा है।
OPS की बहाली की मांग
कर्मचारियों की मुख्य मांग पुरानी पेंशन व्यवस्था (OPS) की बहाली है। NMOPS (नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार OPS बहाल नहीं करती है तो उसे वोट के जरिए सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार को मजबूर कर देंगे कि वह OPS बहाल करे, अन्यथा सरकार बदल दी जाएगी।
NPS को लेकर कर्मचारियों की नाराजगी और OPS की बहाली की मांग देशभर में गूंज रही है। सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाइयों से कर्मचारियों का असंतोष कम नहीं हो रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि वे किसी भी हालत में पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली चाहते हैं और इसके लिए वे संघर्ष करते रहेंगे।