DA Update: केंद्र सरकार ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान रोकी गई महंगाई भत्ते (DA) की तीन किस्तों का भुगतान नहीं किया जाएगा। इस फैसले ने केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में निराशा पैदा की है, जो इन एरियर के मिलने की उम्मीद कर रहे थे।
कोविड काल के दौरान रोकी गई किस्तें
कोविड-19 महामारी के दौरान, केंद्र सरकार ने वित्तीय दबाव को कम करने के लिए जनवरी 2020 से जून 2021 तक की तीन DA किस्तों को रोक दिया था। इस अवधि में महंगाई भत्ता कुल 11% था, जो कि जनवरी 2020 में 4%, जुलाई 2020 में 3%, और जनवरी 2021 में 4% की दर से बढ़ना था।
वित्तीय कारण और निर्णय का आधार
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि महामारी के वित्तीय प्रभाव और सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के वित्तपोषण के कारण, इन एरियर का भुगतान करना वित्तीय रूप से संभव नहीं है। सरकार ने यह भी बताया कि इन किस्तों को रोकने से 34,402.32 करोड़ रुपये की बचत हुई, जिसे महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
DA की वर्तमान स्थिति
जुलाई 2021 से, रोकी गई DA किस्तों को फिर से बहाल किया गया और केंद्रीय कर्मचारियों को 17% की जगह 28% DA दिया जा रहा है। हालांकि, जनवरी 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिए arrears का भुगतान नहीं किया जाएगा।
कर्मचारियों की प्रतिक्रिया और उम्मीदें
केंद्रीय कर्मचारी संघों ने सरकार के इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया है और वह बार-बार इन एरियर की मांग की है। कई कर्मचारी संगठन सरकार से इस निर्णय को पुनर्विचार करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन वर्तमान में सरकार का इस पर कोई विचार नहीं है।
निष्कर्ष
सरकार ने कोविड-19 महामारी के वित्तीय प्रभावों का हवाला देते हुए DA arrears का भुगतान न करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय कर्मचारी इस निर्णय से असंतुष्ट हैं और एरियर की मांग जारी रखे हुए हैं, लेकिन सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के कोई संकेत नहीं दिए हैं।
यह समझ में नहीं आया कि किसी कैन्द्रीय कर्मचारियों/अन्य कर्मचारियों का महंगाई भत्ता/वेतन काटने का हक किस सरकार को है। १८ माह का महंगाई भत्ता भी वेतन का पार्ट है अव कव तक कोविड काल सरकार गाती रहेगी ।माना कोविड काल में आर्थिक आवश्यकता थी ,वह समय १८ माह का वेतन/महंगाई भत्ता से पूरी हो गयी।अब तो भारत की अर्थव्यवस्था बहुत अधिक अच्छी हो गयी है। बड़े -बड़े प्रोजेक्ट सरकार चला कर अत्यधिक खर्चा कर रही है। समुद्र के अन्दर रेल चलाने का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट चलाने की तथा अन्य अनावश्यक बहुत बड़े प्रोजेक्ट में आर्थिक व्यवस्था पर भी असर पड़ता है। सरकार को ज्ञात होना चाहिए कि कर्मचारियों के इस असंतोष को विरोधी दल फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। इसका हल स्वयं सरकार निकाले वह ही सरकार के हित में होगा।