Contract Employees Regularization: हजारों संविदा कर्मचारी एक साथ होंगे नियमित, हाईकोर्ट के आदेश के बाद जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया हाईकोर्ट के आदेश के बाद तेज हो गई है। 15,000 से अधिक कर्मचारियों की पक्की नौकरी की उम्मीद बढ़ी है। सरकार अब पदों की उपलब्धता और अर्हता के आधार पर निर्णय लेगी।

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Written by Rohit Kumar

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Contract Employees Regularization: हजारों संविदा कर्मचारी एक साथ होंगे नियमित, हाईकोर्ट के आदेश के बाद जल्द शुरू होगी प्रक्रिया

Contract Employees Regularization: उत्तराखंड में संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक, तदर्थ, और उपनल कर्मचारियों के लिए नियमितीकरण (Regularization) का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है। चुनाव के दौरान सरकारें कई वादे करती हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद संविदा कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। यह कर्मचारी नियमितीकरण के लिए लगातार संघर्ष करते रहे हैं, कभी बड़े अधिकारियों और सरकार के जिम्मेदारों के पास आवेदन देकर, तो कभी कोर्ट के चक्कर लगाकर।

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हाईकोर्ट के फैसले से जागी नई उम्मीद

हाल ही में उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के लिए एक सुखद खबर आई है। हाईकोर्ट ने नरेंद्र सिंह बिष्ट और चार अन्य विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई के बाद वर्ष 2013 की नियमितीकरण नियमावली पर मुहर लगाई है। इस फैसले के बाद शासन स्तर पर नियमितीकरण की प्रक्रिया तेज हो गई है। इससे 15 हजार से ज्यादा संविदा कर्मचारियों के मन में एक बार फिर पक्की नौकरी की उम्मीद जाग उठी है।

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नियमितीकरण की प्रक्रिया

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2024 की कट-ऑफ डेट मानते हुए 10 साल नियमित सेवा वाले संविदा कर्मचारियों को पदों की उपलब्धता के हिसाब से नियमित किया जाएगा। प्रदेश में वर्ष 2013 से पहले तक संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं था। वहीं 2013 में आई विनियमितीकरण नियमावली में संविदा कर्मचारियों की लगातार 10 साल की सेवा को आधार बनाकर नियमित करने का प्रावधान किया गया था। हालांकि, इस नियमावली विवादों में आने से हाईकोर्ट की तरफ से इसपर रोक लगा दी गई।

पिछली सरकारों की कोशिशें

हरीश रावत सरकार ने इस मुद्दे पर दोबारा काम शुरू किया और 2017 में एक नई नियमितीकरण नियमावली लाई, जिसमें सेवाकाल को 10 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया। हालांकि, इस पर भी आपत्तियां उठीं और हाईकोर्ट ने इसे भी रोक दिया। इसके बाद से नियमितीकरण संबंधी सभी काम ठप पड़े हुए थे।

आगे की राह

हाईकोर्ट के हालिया फैसले के बाद कार्मिक और वित्त विभाग नियमितीकरण के सभी पहलुओं को बारीकी से देख रहा है। जिन विभागों में पद रिक्त होंगे, वहां संविदा, उपनल या अन्य माध्यमों से कार्य कर रहे कर्मचारियों को मौका मिल सकता है। रिक्त पदों के लिए अधिक दावेदार होने पर वरिष्ठता सूची तैयारी की जा सकती है। साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि कितने पद रिक्त हैं, अर्हता क्या है, और आयु कितनी है। शासन के अफसरों का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में काम शुरू कर दिया गया है।

संविदा कर्मचारियों की प्रतिक्रिया

बता दें, हाईकोर्ट के इस फैसले से संविदा कर्मचारियों में खुशी की लहर है। लंबे समय से अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता झेल रहे इन कर्मचारियों को अब एक स्थायी नौकरी की उम्मीद है। यह फैसला उनके संघर्ष और धैर्य का परिणाम है, जो उन्होंने वर्षों से सरकार और न्यायपालिका के समक्ष रखा है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड के संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की दिशा में हाईकोर्ट का यह फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी साबित करता है कि संघर्ष और धैर्य से हर मुश्किल का समाधान संभव है। अब देखना यह है कि शासन इस प्रक्रिया को कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाता है, ताकि इन कर्मचारियों को उनका हक मिल सके।

3 thoughts on “Contract Employees Regularization: हजारों संविदा कर्मचारी एक साथ होंगे नियमित, हाईकोर्ट के आदेश के बाद जल्द शुरू होगी प्रक्रिया”

  1. क्या इस नियमावली मे उपनल कार्मिक को भी शामिल किया जा रहा है क्योंकि हिंदुस्तान समाचार पत्र मे उपनल को इस नियमावली मे शामिल ना करने की बात कही गई है

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