नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के बकाया भुगतान पर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) की सिफारिशों का पालन न करने पर 16 राज्यों के मुख्य और वित्त सचिवों को तलब किया है।
सिफारिशों का पालन न होने पर नाराजगी जताते हुए मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “अब हम जानते हैं कि पालन कैसे कराया जाता है। अभी अगर हम सिर्फ यह कहें कि हलफनामा दाखिल नहीं होने पर मुख्य सचिवों को उपस्थित होना होगा, तो हलफनामा दाखिल नहीं होगा। हम उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं, लेकिन अब उन्हें हमारे सामने पेश होना होगा और उसके बाद हलफनामा दाखिल होगा।”
पीठ ने कहा कि राज्यों को सात मौके दिए गए हैं लेकिन ऐसा लगता है कि पूर्ण अनुपालन नहीं हुआ है और कई राज्य चूक कर रहे हैं। अब मुख्य और वित्त सचिवों को 23 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। “हमारे निर्देशों का अनुपालन नहीं हुआ तो अदालत अवमानना शुरू करने के लिए बाध्य होगी।” पीठ ने स्पष्ट किया कि वह अब और समय विस्तार नहीं देगी।
इन राज्यों के मुख्य सचिव तलब:
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, मणिपुर, ओडिशा और राजस्थान के मुख्य और वित्त सचिवों को तलब किया है।
न्यायमित्र के परमेश्वर ने बताया भत्तों पर टीडीएस काट रहे राज्य:
सुप्रीम कोर्ट की मदद कर रहे न्यायमित्र के परमेश्वर ने अदालत को बताया कि न्यायिक अधिकारियों को मिलने वाले भत्तों पर राज्य स्रोत पर कर (TDS) की कटौती कर रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा, “जहां भी आयकर अधिनियम के तहत भत्तों पर TDS की कटौती से छूट उपलब्ध है, राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई कटौती न की जाए।”
असम, आंध्र, दिल्ली, हिमाचल, पश्चिम बंगाल और केरल की दलीलें खारिज:
पीठ ने अनुपालन को लेकर विभिन्न राज्यों की दलीलें सुनीं। पीठ ने एक साल का और समय मांगने वाली पश्चिम बंगाल समेत असम, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और केरल की दलीलों को खारिज कर दिया। पीठ ने असम के बाढ़ वाले तर्क को भी खारिज कर दिया। वहीं, दिल्ली के केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार करने वाले तर्क को भी नहीं माना।