कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक संकट को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) के भुगतान को तीन किस्तों में रोक दिया था। यह फैसला 1 जनवरी 2020, 1 जुलाई 2020, और 1 जनवरी 2021 से लागू किया गया, जिससे सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपये की बचत की। इस निर्णय का उद्देश्य देश की वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना था।
डीए एरियर पर सरकार का निर्णय
सरकार ने इस अवधि के दौरान महंगाई भत्ते में वृद्धि को जमी हुई रखा, जबकि वास्तविक दरों में निरंतर वृद्धि हो रही थी। इससे कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच महत्वपूर्ण आर्थिक तनाव उत्पन्न हो गया, क्योंकि उन्हें केवल 17% की दर से ही DA और DR प्राप्त हो रहा था, जबकि वास्तविक दरें 21%, 24% और 28% तक पहुँच गई थीं।
कर्मचारी संगठनों और विपक्ष का दबाव
कर्मचारी संगठनों जैसे कि नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NCJCM) ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है और सरकार से 18 महीने के एरियर के भुगतान की मांग की है। विपक्षी दलों ने भी सरकार पर इस मुद्दे पर दबाव बढ़ाया है, जिससे यह मुद्दा राजनीतिक चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है।
सरकार की प्रतिक्रिया
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट किया कि महामारी के दौरान उठाए गए कदम आर्थिक संकट से निपटने के लिए आवश्यक थे। हालांकि, कर्मचारी संगठन और विपक्षी दल इस बात पर जोर दे रहे हैं कि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होने के साथ, सरकार को इन एरियर्स का भुगतान करना चाहिए।
निर्णायक क्षण
आगामी कैबिनेट बैठक में, जिसे 25 तारीख को आयोजित किया गया है, 34,000 करोड़ रुपये के बकाया DA एरियर पर निर्णय लिया जा सकता है। इस बैठक की प्रतीक्षा कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए निर्णायक हो सकती है, जिसमें उनकी आर्थिक स्थिति और भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
इस प्रकार, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए DA और DR के एरियर्स का मुद्दा न केवल एक वित्तीय प्रश्न है, बल्कि यह उनकी आर्थिक सुरक्षा और भविष्य के लिए एक मार्मिक और प्रभावशाली मुद्दा बन गया है।