Bihar Teacher Salary: बिहार के विश्वविद्यालयों को लेकर शिक्षा विभाग ने एक कड़ा कदम उठाया है। सरकार ने जुलाई माह के अनुदान पर रोक लगा दी है, जिसका सीधा असर शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन और पेंशन भुगतान पर पड़ेगा। यह निर्णय तब लिया गया जब विश्वविद्यालयों ने निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने शिक्षकों, कर्मचारियों और अतिथि शिक्षकों से संबंधित डाटा पे-रौल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड नहीं किया। इस कदम से विश्वविद्यालयों को वित्तीय अनुशासन में सुधार लाने की सख्त चेतावनी दी गई है।
डाटा अपलोडिंग की अनदेखी बनी कारण
शिक्षा विभाग ने 20 जून को विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि वे अपने विश्वविद्यालयों में स्वीकृत पदों और कार्यरत शिक्षकों, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के डाटा को पे-रौल मैनेजमेंट पोर्टल पर अपलोड करें। इन निर्देशों के बावजूद, कई विश्वविद्यालयों ने इस महत्वपूर्ण कार्य को समय पर पूरा नहीं किया। इस अनदेखी के परिणामस्वरूप शिक्षा विभाग ने जुलाई के अनुदान को रोकने का निर्णय लिया।
वित्तीय अनुशासन की सख्ती
शिक्षा विभाग के इस कदम का प्रभाव यह होगा कि शिक्षकों और कर्मचारियों का जुलाई माह का वेतन और पेंशन भुगतान रुक जाएगा। यह निर्णय विश्वविद्यालयों को वित्तीय अनुशासन का पालन करने और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लिया गया है। शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव ने कुलपतियों को यह स्पष्ट रूप से याद दिलाया है कि पोर्टल पर डाटा अपलोड करने की कार्रवाई में अब और देरी नहीं की जा सकती। जब तक सभी विश्वविद्यालय निर्धारित डाटा अपलोड नहीं करेंगे, तब तक अनुदान जारी नहीं किया जाएगा।
राज्यपाल को सूचित किया गया
इस कार्रवाई की जानकारी राज्यपाल एवं कुलाधिपति सचिवालय को भी दे दी गई है। शिक्षा विभाग का मानना है कि विश्वविद्यालयों में अनुशासन और पारदर्शिता लाने के लिए यह आवश्यक कदम है। विश्वविद्यालयों के अनुदान रोकने से शिक्षा विभाग ने यह संदेश दिया है कि अनुशासनहीनता और प्रशासनिक लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
मगध विश्वविद्यालय की स्थिति
हाल ही में सोमवार को, शिक्षा विभाग ने मगध विश्वविद्यालय के द्वारा पे-रोल मैनेजमेंट सिस्टम पर अपलोड किए गए डाटा का आकलन किया। जांच में यह सामने आया कि विश्वविद्यालय ने केवल 61 प्रतिशत डाटा ही पोर्टल पर डाला है, जिसे लेकर शिक्षा विभाग ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।
निष्कर्ष
बिहार के विश्वविद्यालयों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चेतावनी है। समय पर प्रशासनिक कार्यों का पालन न करने की स्थिति में उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। शिक्षा विभाग का यह कदम न केवल विश्वविद्यालयों के लिए अनुशासन को सुदृढ़ करेगा, बल्कि राज्य के शिक्षा तंत्र में पारदर्शिता और दक्षता भी सुनिश्चित करेगा।