केंद्रीय बजट 2024 में, नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन सुधारों की दिशा में एक नई पहल की घोषणा की है। इस पहल के तहत, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के अंतर्गत नामांकित कर्मचारियों को उनके अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलने की संभावना है। इस कदम को कर्मचारियों की लंबी अवधि की निवेश चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
पेंशन भुगतान की नई व्यवस्था
बता दें, वर्ष 2004 के बाद से भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए NPS के तहत निवेश की आकर्षक वापसी का दावा करते हुए, सरकार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा के बाद टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। इस समिति का मुख्य कार्य पेंशन भुगतान सिस्टम की समीक्षा करना और उसे अधिक लाभकारी बनाने की संभावनाएं तलाशना है।
बजट की उम्मीदें
सोमनाथन समिति ने अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं का अध्ययन किया है और आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा किए गए संशोधनों की जांच की है। साथ ही, निश्चित रिटर्न प्राप्त करने के परिणामों की गहन की जांच गए हैं। हालांकि केंद्र द्वारा 40-45% की गारंटी की संभावना है, फिर भी यह लंबे समय तक सेवा देने वाले कर्मचारियों की समस्याओं का संपूर्ण समाधान नहीं हो सकती। रिपोर्ट बताती है कि इसके चलते सरकार में 50% की गारंटी पर विचार करने का रुझान बढ़ रहा है, जिसमें सरकार आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिए कदम उठाने को तैयार है।
समिति के सदस्यों ने इस योजना की वार्षिक समीक्षा को अनिवार्य माना। यह सुझाव सरकारी पेंशन प्रणाली की फंडिंग की अनुपस्थिति से जुड़ी तुलना से प्रेरित है, जो केंद्र में बिना किसी वित्तीय आधार के चलती है। अनुमान है कि केंद्रीय सरकार बजट 2024 में एक सेवानिवृत्ति निधि स्थापित करेगी, जिससे यह सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने वाली कंपनियों के साथ अपने प्रणाली को संरेखित कर सकेगी।
पुरानी पेंशन योजना और नई दिशाएँ
जबकि सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) की वापसी को अस्वीकार कर दिया है, यह नई प्रणाली में बेहतरी लाने के लिए खुली हुई है। इसका उदाहरण 50% की गारंटी पर विचार करने की प्रवृत्ति में नजर आता है, जिसे सरकार किसी भी कमी को पूरा करने के लिए कदम उठाने हेतु तैयार है।
इस प्रकार, केंद्रीय बजट 2024 में प्रस्तावित बदलाव न केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक नई आशा की किरण प्रदान करता है, बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि सरकार सेवानिवृत्ति लाभों के मुद्दे को और अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में इस पहल का प्रभाव कर्मचारियों की आर्थिक सुरक्षा और उनके भविष्य की स्थिरता पर महत्वपूर्ण असर डाल सकता है।