कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) जल्द ही एक नई योजना, EPFO 3.0, के तहत महत्वपूर्ण बदलावों पर विचार कर रहा है। इन प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य कर्मचारियों के पीएफ (Provident Fund) योगदान में लचीलापन और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ाना है। अगर ये बदलाव लागू होते हैं, तो यह कर्मचारियों को उनके भविष्य निधि खातों में अधिक योगदान करने और बेहतर रिटायरमेंट फंड बनाने का मौका देगा।
पीएफ योगदान की सीमा समाप्त करने की तैयारी
वर्तमान में, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों अपनी सैलरी का 12% हिस्सा पीएफ खाते में जमा करते हैं। इसमें से एक हिस्सा पेंशन स्कीम में जाता है और शेष पीएफ खाते में। सरकार अब पीएफ योगदान की इस सीमा को समाप्त करने की योजना बना रही है। इसका अर्थ यह है कि कर्मचारी अपनी इच्छा और वित्तीय क्षमता के अनुसार 12% से अधिक का योगदान कर सकेंगे।
यह बदलाव उन कर्मचारियों के लिए विशेष रूप से लाभदायक होगा, जो अपने रिटायरमेंट फंड को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।
केवल कर्मचारियों के योगदान में बदलाव
नियोक्ता के योगदान की मौजूदा संरचना में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। नियोक्ता की ओर से 8.33% योगदान पेंशन अकाउंट में और 3.67% पीएफ खाते में जाता है। हालांकि, कर्मचारी को यह छूट होगी कि वे अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा पीएफ खाते में डालकर दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें।
इक्विटी में निवेश का विकल्प
EPFO 3.0 के तहत इक्विटी निवेश को भी शामिल करने की संभावना है। इससे कर्मचारियों को अपने पीएफ फंड पर बेहतर रिटर्न प्राप्त हो सकता है। हालांकि, यह निवेश वैकल्पिक होगा और कर्मचारियों की सहमति से ही लागू किया जाएगा।
बदलाव से कर्मचारियों को संभावित लाभ
सरकार का मानना है कि इन सुधारों से लगभग 6.7 करोड़ कर्मचारियों को लाभ होगा। यह कदम कर्मचारियों को उनके रिटायरमेंट के बाद बेहतर वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से लिया जा रहा है। अधिक योगदान का विकल्प मिलने से कर्मचारी अपने भविष्य को बेहतर तरीके से सुरक्षित कर पाएंगे।
EPFO में डिजिटलीकरण का कदम
इसके अलावा, EPFO अपने सदस्यों को डिजिटलीकरण के जरिए और अधिक सुविधाएं प्रदान करने पर काम कर रहा है। पीएफ निकासी के लिए एटीएम की सुविधा और ऑनलाइन सेवाओं में सुधार इन सुधारों का हिस्सा हो सकता है।