वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 पेश करते हुए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, जिनमें नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के नियमों में बदलाव भी शामिल है। यह बदलाव कर्मचारियों के मासिक बजट और रिटायरमेंट फंड पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, तो चलिए जानते हैं एनपीएस के नियमों में बदलावों की पूरी जानकारी।
NPS में बदलाव का ऐलान
23 जुलाई को अपने बजट भाषण में, वित्त मंत्री ने नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत नियोक्ताओं के योगदान को 10% से बढ़ाकर 14% करने की घोषणा की। यह परिवर्तन कर्मचारियों के मूल वेतन पर लागू होगा। इससे पहले, कर्मचारी NPS में अपने मूल वेतन का 10% योगदान देते थे, जो अब 14% हो जाएगा।
उदाहरण से समझें नया योगदान
मान लीजिए, किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है। पहले के नियमों के अनुसार, उन्हें NPS में 5,000 रुपये प्रति माह योगदान करना पड़ता था। लेकिन नए नियम के तहत, उन्हें अब 7,000 रुपये प्रति माह योगदान करना होगा। यह अतिरिक्त 2,000 रुपये उनके रिटायरमेंट फंड में जमा होगा, जिससे उनके पेंशन फंड में वृद्धि होगी।
मासिक बजट पर प्रभाव
मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अपनी सैलरी के खर्चों को मैनेज करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। लोन, घर के खर्च और अन्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, NPS में योगदान में वृद्धि से उनका मासिक बजट बिगड़ सकता है। हालांकि, यह बदलाव उनके रिटायरमेंट के लिए लाभदायक साबित हो सकता है, क्योंकि इससे उन्हें अधिक पेंशन मिलेगी।
पेंशन के लिए फायदेमंद
नए बदलाव के अनुसार, अब कंपनियां कर्मचारियों के NPS खाते में उनकी सैलरी का 14% जमा करेंगी। इससे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन में वृद्धि होगी। सरकार भी कर्मचारियों के NPS खाते में 14% का अलग से योगदान करेगी। इस प्रकार, NPS खाते में पहले से 4% अधिक रकम जमा होगी।
मैच्योरिटी के बाद, कर्मचारी अपने जमा किए गए फंड का 60% तक निकाल सकते हैं, जबकि शेष 40% पेंशन खरीदने पर खर्च किया जा सकता है। इस बदलाव से कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद अधिक वित्तीय सुरक्षा मिलेगी।
निष्कर्ष
बजट 2024 में NPS के तहत किए गए बदलाव कर्मचारियों के लिए दीर्घकालिक लाभदायक साबित हो सकते हैं। हालांकि, इसका तात्कालिक प्रभाव उनके मासिक बजट पर पड़ेगा, लेकिन रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले अधिक पेंशन के रूप में उन्हें इसका लाभ मिलेगा। इस प्रकार, यह कदम कर्मचारियों की वित्तीय स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
मध्य प्रदेश 1998 शिक्षा कर्मी का हक क्यों खाया जा रहा है,
1998 शिक्षा कर्मी बिना पेंशन के रिटायर हो रहे हैं सर,
1998 शिक्षा कर्मी को भी उनका हक मिलना चाहिए।#OPS सीता राम