बुजुर्गों के लिए आयुष्मान भारत योजना ने खोली नई राह, अब बच्चों के आगे नही फैलाना पड़ेगा हाथ

भारत में बुजुर्गों की देखभाल के लिए आयुष्मान भारत योजना और न्यायपालिका ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे उन्हें आर्थिक सहायता और न्यायिक संरक्षण मिलता है, जिससे उनका सम्मानित और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित होता है।

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Written by Rohit Kumar

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बुजुर्गों के लिए आयुष्मान भारत योजना ने खोली नई राह, अब बच्चों के आगे नही फैलाना पड़ेगा हाथ

हमारे जीवन में माता-पिता की भूमिका एक मजबूत नींव की तरह होती है, जो हमें इस काबिल बनाती है कि हम अपने भविष्य को संवार सकें। परंतु, जब यही माता-पिता वृद्ध हो जाते हैं, तब अक्सर उन्हें अपने ही बच्चों के सामने हाथ फैलाने की स्थिति का सामना करना पड़ता है या वृद्धाश्रम का सहारा लेना पड़ता है।

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क्या है बुजुर्गों की मजबूरी?

आजकल कई बुजुर्ग माता-पिता यह सोचते हैं कि उनके इलाज और दवाइयों पर होने वाले खर्चों की वजह से उनके बच्चों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है। यह विचार उन्हें अपने बच्चों से दूर होने और वृद्धाश्रम जैसी परिस्थितियों में रहने के लिए प्रेरित करता है। बुजुर्गों की यह स्थिति उनके मानसिक और भावनात्मक पीड़ा को और भी गहरा कर देती है, जिसे समझना और उसका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है।

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आयुष्मान भारत योजना

भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना ने बुजुर्गों के लिए एक नई राह खोल दी है। इस योजना के तहत, 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

इस योजना से देशभर में लगभग 6 करोड़ बुजुर्गों को लाभ मिलेगा। इससे अब बुजुर्ग माता-पिता को यह चिंता नहीं होगी कि उनके इलाज के खर्चे उनके बच्चों पर बोझ बनेंगे। यह योजना बुजुर्गों को न केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान की भी रक्षा करती है।

न्यायपालिका का संवेदनशील दृष्टिकोण

भारत की न्यायपालिका ने भी समय-समय पर बुजुर्गों की देखभाल के संबंध में महत्वपूर्ण और संवेदनशील फैसले दिए हैं। इन फैसलों ने बुजुर्गों के अधिकारों को मजबूती से संरक्षित किया है और बच्चों पर उनके प्रति नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी को स्पष्ट किया है।

  • सुप्रीम कोर्ट का आदेश (2021): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों के लिए अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करना नैतिक और कानूनी दोनों रूप से अनिवार्य है। एक मामले में, कोर्ट ने 10 रुपये का गुजारा भत्ता देने में आनाकानी करने वाले बेटे को फटकार लगाते हुए बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी की महत्ता को रेखांकित किया।
  • कलकत्ता हाई कोर्ट का निर्णय: जुलाई 2021 में, कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संपत्ति पर बुजुर्ग माता-पिता का ही अधिकार होता है, जबकि बेटे-बहू केवल लाइसेंसी होते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी देश को सभ्य कहलाने के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने बुजुर्गों और कमजोर नागरिकों की समुचित देखभाल कर सके।
  • पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में बुजुर्ग विधवा महिला की संपत्ति को बेटे द्वारा धोखाधड़ी से अपने नाम कराने के प्रयास को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चों को अपने माता-पिता की देखभाल करने की जिम्मेदारी निभानी होगी।

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