सभी पेन्शनभोगी ध्यान दे! ECHS लाभार्थियो के लिए बड़ी खबर, लोकसभा से आयी चौकानें वाली जानकारी

लोकसभा में सांसद राजेश वर्मा ने ECHS योजना में लापरवाही और लाभार्थियों की समस्याओं पर सवाल उठाए। रक्षा मंत्री ने योजना की विशेषताएं, पात्रता, लाभार्थियों की संख्या, और खर्च का विवरण दिया, जिसमें पिछले तीन वर्षों में 21,589.31 करोड़ रुपये खर्च हुए।

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Written by Rohit Kumar

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सभी पेन्शनभोगी ध्यान दे! ECHS लाभार्थियो के लिए बड़ी खबर, लोकसभा से आयी चौकानें वाली जानकारी

नई दिल्ली: भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ECHS) को लेकर लोकसभा से बड़ी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार पर कई आरोप लगाए जाते हैं कि ECHS में लापरवाही होती है और लाभार्थियों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन समस्याओं को लेकर लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सांसद श्री राजेश वर्मा ने सरकार से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे। आइए, जानते हैं कि उन्होंने क्या-क्या प्रश्न पूछे और सरकार ने क्या उत्तर दिया।

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ECHS की मुख्य विशेषताएं

सांसद श्री राजेश वर्मा ने रक्षा मंत्री से सवाल किया कि ECHS की मुख्य विशेषताएं क्या हैं। इस पर रक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री संजय सेठ ने बताया कि यह योजना 01 अप्रैल, 2003 को शुरू की गई थी और यह लगभग 60 लाख लाभार्थियों को कैशलेस और कैपलेस चिकित्सा लाभ प्रदान करती है। यह योजना भूतपूर्व सैनिकों और उनके पात्र आश्रितों के लिए संचालित की गई थी।

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ECHS के लिए पात्रता

श्री वर्मा ने पूछा कि ECHS के लिए कौन-कौन पात्र है। इस पर श्री सेठ ने बताया कि तीनों सेनाओं के अलावा निम्नलिखित संगठनों/श्रेणियों के कार्मिक ECHS सदस्यता के लिए पात्र हैं:

  1. प्रादेशिक सेना
  2. रक्षा सुरक्षा कोर
  3. वर्दीधारी भारतीय तट रक्षक
  4. सैन्य नर्सिंग सेवा
  5. विशेष सीमा बल
  6. नेपाल अधिवासी गोरखा
  7. पूर्ण कालीन एनसीसी अधिकारी
  8. सेना डाक सेवा
  9. असम राइफल
  10. द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व सैनिक, अल्प सेवा कमीशन प्राप्त अधिकारी (एसएससीओ), इमरजेंसी कमीशन प्राप्त अधिकारी (ईसीओ) और समय-पूर्व सेवा निवृत्त।

ECHS लाभार्थियों की संख्या

श्री वर्मा ने यह भी पूछा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान ECHS के माध्यम से सेवाओं का लाभ उठाने वाले लाभार्थियों की संख्या कितनी है। इस पर श्री सेठ ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में ECHS पॉलीक्लीनिकों में लगभग 3.55 करोड़ विजिट दर्ज की गई हैं।

ECHS पर सरकार का खर्च

ECHS योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा कितनी राशि खर्च की गई है, इस प्रश्न पर श्री सेठ ने बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान इस योजना पर 21,589.31 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और वर्तमान वर्ष में 2,688.86 करोड़ रुपये (22 जुलाई, 2024 की स्थिति के अनुसार) खर्च किए गए हैं।

सूचीबद्ध अस्पतालों का विवरण

श्री वर्मा ने देश भर में ECHS के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों का राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार तथा बिहार सहित जिला-वार ब्यौरा मांगा। इस पर श्री सेठ ने इसका विवरण निम्नलिखित सारणी में प्रदान किया:

क्र.सं.राज्य/संघ राज्य क्षेत्रसूचीबद्ध स्वास्थ्य देखभाल संगठन
1आंध्र प्रदेश141
2असम36
3बिहार49
4चंडीगढ़58
5छत्तीसगढ़17
6दिल्ली495
7गोवा7
8गुजरात50
9हरियाणा475
10हिमाचल प्रदेश80
11जम्मू और कश्मीर24
12झारखंड28
13कर्नाटक120
14केरल191
15मध्य प्रदेश96
16महाराष्ट्र327
17मणिपुर3
18मेघालय2
19मिजोरम4
20नागालैंड2
21ओडिशा54
22पुदुचेरी4
23पंजाब495
24राजस्थान237
25सिक्किम1
26तमिलनाडु137
27तेलंगाना30
28त्रिपुरा3
29उत्तर प्रदेश502
30उत्तराखंड79
31पश्चिम बंगाल67
कुल3814

पूरा विवरण: यहाँ से डाउनलोड करें

1 thought on “सभी पेन्शनभोगी ध्यान दे! ECHS लाभार्थियो के लिए बड़ी खबर, लोकसभा से आयी चौकानें वाली जानकारी”

  1. Government in power is not doing anything about EPF 1995 pensioners. After taking over in 2014 May, it was made minimum of ₹1000/- in 2015. It has been more than 9 years and revision has been ruled out by Government although the matter was put up by Labour Ministry. Why are they not taking Courts point that it is mandatory to revise it with lapse of time. Nine years is not a short period. It seams that in beginning the current ruling Govt for name sake did a token show of their concern and revision was brought in. During the same period other schemes of pension, got revised with changing dearness index within 2- 3 years time cycle. It’s high time ruling Govt should take rational decision for pensioners under EPF- 1995 scheme. One of the reason that current Govt has been hit hard during just concluded election. This might be one of the reason that members of such pension schemes are disgruntled, annoyed and have lost hope in the rulers. There might be other such groups in public who have similar pain.

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