उत्तराखंड के 1800 वन विकास निगम के कर्मचारी और पेंशनरों के लिए एक बड़ी निराशाजनक खबर आई है। पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इन कर्मचारियों की 11 साल की वरिष्ठता को समाप्त करने का आदेश जारी किया है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक और सामाजिक दोनों ही प्रकार के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।
वरिष्ठता समाप्ति का निर्णय
सरकारी आदेशानुसार, वर्ष 2002 में नियमित हुए वन विकास निगम के 1800 कर्मचारियों की वरिष्ठता समाप्त कर दी गई है। जिसके लिए बुधवार को वन निगम के प्रबंध निदेशक एसपी सुबुद्धि द्वारा सभी जीएम को इस मामले में कार्यवाई के निर्देश भी दिए गए हैं। इस निर्णय से कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त हो गया है और उन्होंने 12 जुलाई से आंदोलन की चेतावनी दी है।
नियुक्ति और नियमितीकरण की पृष्ठभूमि
वन विकास निगम में स्केलर और समूह ‘घ’ के अंतर्गत वर्ष 1991 या उससे पहले दैनिक वेतन पर भर्ती हुए करीब 1800 कर्मचारी 2002 में नियमित किए गए थे। ये कर्मचारी यूपी की नियमावली के अनुसार सेवा शुरू होने के दिन से ही विनियमित करने की मांग कर रहे थे और इस मुद्दे को लेकर वे हाईकोर्ट भी गए थे। इस मामले में लंबी लड़ाई के बाद फरवरी 2023 में सरकार ने आदेश जारी किए थे कि 2002 में नियमित हुए इन सभी कर्मचारियों को 1991 से सेवा का लाभ दिया जाए।
सरकारी लाभ और वेतन भत्ते
सरकार के आदेशानुसार, 1991 से ही कर्मचारियों को वरिष्ठता के साथ वेतन भत्ते सहित तमाम लाभ दिए गए। लेकिन अब करीब डेढ़ साल बाद सरकार ने अपने आदेश को निरस्त करते हुए सभी की वरिष्ठता समाप्त कर दी है, यानी अब दोबारा उनकी सेवाएं 2002 से ही मान्य होंगी।
वन विकास निगम के एमडी का बयान
एमडी एसपी सुबुद्धि ने बताया कि निगम के अधिकारियों को सरकार द्वारा दिए गए आदेश का अनुपालन करने के निर्देश दे दिए गए हैं। वहीं, वन विकास निगम कर्मचारी संगठन के प्रदेश महामंत्री प्रेम सिंह चौहान ने इस निर्णय को कर्मचारियों के साथ अन्याय करार दिया है। उनका कहना है कि शासन ने वित्त और कार्मिक सहित तमाम विभागों की राय के बाद वरिष्ठता दी थी। अब इसे निरस्त करने के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा।
वेतन और एरियर की रिकवरी
सरकारी आदेश के बाद कर्मचारियों और पेंशनरों को वेतन और पेंशन घटने के साथ-साथ रिकवरी की भी समस्या बनी हुई है। वरिष्ठता के आधार पर पिछले डेढ़ साल में जो वेतन और पेंशन मिली, उसकी वसूली हो सकती है। इसके साथ ही, कर्मचारियों को मिले करीब डेढ़ से दो लाख रुपये के एरियर भी वापस करने पड़ सकते हैं।
आंदोलन की चेतावनी
कर्मचारियों ने इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी है और इसे अन्यायपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से उनकी आर्थिक स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और वे इसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेंगे।
यह निर्णय उत्तराखंड के वन विकास निगम के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चुनौती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और कर्मचारी संगठन इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं।