पेंशनधारियों के कम्युटेशन पर दर्ज याचिकाओं पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की तरफ से उनकी पेंशन की कम्युटेशन राशि की कटौती पर रोक लगा दी गई है। बता दें अभी तक सरकारें पेंशनभोगियो की पेंशन से 15 सालों तक कम्युटेशन की रिकवरी करती आ रही है, जबकि वास्तविक रूप से यह 11 साल में ही पूरी हो जाती है। इसपर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने स्टे लगाते हुए उन पेंशनर्स के Commutation पर रोक लगाई है, जिन्होंने 10 साल की सेवानिवृत्ति पूरी कर ली है।
न्यायलय के इस फैसले से न केवल पेंशनधारकों को बड़ी राहत मिली है, बल्कि यदि कम्युटेशन की कटौती के पक्ष में फैसला सुनाया जात है तो इससे भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
क्या रहा न्यायधीशों का फैसला
बता दें न्यायालय के न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त कर निरीक्षक शाम सुंदर और हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों से सेवानिवृत्त अन्य पेंशनभोगियो द्वारा दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया है। इसके साथ ही खंडपीठ ने 21 अगस्त, 2024 तक इस मुद्दे पर हरियाणा के मुख्य सचिव और मशलेखाकर को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
10 साल बाद पेंशनर्स की पेंशन से नही होगी Commutation की कटौती
खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की वसूली पूरी होने पर पूर्ण पेंशन बहाल करने की मांग पर फिलहाल अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है की आगे की वसूली स्थगित रहेगी। यह निर्देश केवल उन पेंशनभोगियो के लिए लागू रहेगा, जिन्होंने 10 साल या उससे अधिक की सेवानिवृत्त पूरी कर ली है। इस मामले को लेकर याचिकाकर्ताओं ने पेंशन की समायोजित राशि के लिए 15 वर्षों की अवधि को अनुचित बताते हुए हरियाणा सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2016 के नियम 95 और 106 को अवैध ठहराते हुए निरस्त करने की मांग की।
इसके लिए 10 साल या उससे अधिक की सेवानिवृत्त पेंशनर्स ने अपनी पूरी पेंशन तुरंत बहाल करने का निर्देश भी मांगा, क्योंकि कम्युटेशन पेंशन की राशि 11.5 वर्षों में वसूली जा चुकी है और इसे 15 वर्षों की अवधि तक वसूलने का कोई ठोस आधार नही है।
क्या रही याचिकर्ताओं के वकीलों का तर्क
इस मामले पर याचिकाकर्ताओं के वकील, एडिवोकेट विकास चत्रथ ने तर्क दिया की राज्य सरकारें पेंशनभोगियो से 15 वर्षों में 180 किस्तों में 8.1% वार्षिक दर के साथ कम्युटेशन की अतिरिक्त राशि वसूल कर रही हैं। जबकि यह राशि 11.5 वर्षों में वसूल हो जाती है।
इसपर उन्होंने यह भी कहा की यह राज्य कर्मचारियों को केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के समान बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन किया करता है, क्योंकि राज्य कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष जबकी केंद्रीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष होती है। ऐसे में रीस्टोरेशन की अवधि को 12 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष निर्धारित रखना एक अनुचित लाभ के समान है।
हरियाणा सरकार की क्या रही प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर अदालत ने हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव और महालेखाकार के माध्यम से Commutation कटौती के लिए 15 वर्ष की अवधि क्यों तय की गई है? इसपर जवाब मांगा है। इस मामले पर सुनवाई 21 अगस्त को निर्धारित की जाएगी। बता दें न्यायालय की और से इस मामले में जारी किया जाने वाला आदेश यदि याचिकाकर्ताओं के पक्ष में आता है तो इससे न केवल राज्य में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलेगी बल्कि यह अन्य राज्यों को भी पेंशन नियमों की समीक्षा करने के लिए प्रेरित करेगा।
कर्मचारियों के लिए होगी बड़ी राहत
यदि याचिकाकर्ताओं के पक्ष में Commutation की कटौती पर फैसला आता है तो 10 साल से अधिक की सेवानिवृत्त पूरी कर चुके लाखों कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी राहत की खबर होगी। पेंशनभोगियो के Commutation राशि की कटौती रुकने से उनपर आर्थिक बोझ कम होगा, जिससे उन्हें पूरी पेंशन मिल सकेगी। इसके अलावा भविष्य में रिटायर होने वाले नए कर्मचारियों को भी वित्तीय बोझ नहीं उठाना पड़ेगा और यह सरकार को भी अपने पेंशन के नियमों में सुधार और समीक्षा के लिए जागरूक करेगा।