
EPS Pension योजना (Employee Pension Scheme) के तहत मिलने वाली न्यूनतम पेंशन को लेकर सरकार और संसद की स्थायी समिति के बीच अहम मंथन चल रहा है। फिलहाल ₹1,000 प्रति माह की दर से दी जा रही इस पेंशन को ₹7,500 करने की सिफारिश की गई है। यह कदम EPS-95 पेंशनभोगियों की वर्षों पुरानी मांगों को संबोधित करता है।
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क्यों जरूरी है EPS Pension में बढ़ोतरी?
EPS-95 योजना के अंतर्गत देशभर में लाखों पेंशनभोगी केवल ₹1,000 की न्यूनतम राशि पर निर्भर हैं, जो मौजूदा महंगाई और जीवन यापन की लागत को देखते हुए बेहद अपर्याप्त है। ऐसे में ₹7,500 प्रति माह की प्रस्तावित पेंशन से बुजुर्गों को न केवल आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का भी अवसर मिलेगा।
सरकारी समिति की अहम सिफारिशें
संसद की स्थायी समिति, जिसकी अध्यक्षता भाजपा नेता बसवराज बोम्मई कर रहे हैं, ने EPS योजना के तीसरे पक्ष से मूल्यांकन की सिफारिश की है। इस मूल्यांकन को 2025 के अंत तक पूरा करने की सलाह दी गई है। समिति का मानना है कि इस समीक्षा के बाद योजना की व्यवहारिकता और वित्तीय प्रभावों का स्पष्ट मूल्यांकन किया जा सकेगा।
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पेंशनभोगियों की मांगों को मिला समर्थन
EPS-95 नेशनल अगिटेशन कमेटी के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर ₹7,500 की न्यूनतम पेंशन, महंगाई भत्ता (DA) और मुफ्त चिकित्सा सुविधा जैसी मांगें रखी हैं। वित्त मंत्री ने प्रतिनिधियों को इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने का भरोसा दिलाया है।
बदलाव से कौन होंगे लाभान्वित?
EPS योजना के अंतर्गत वे कर्मचारी आते हैं, जिन्होंने कम से कम 10 वर्षों की सेवा पूरी की है और 58 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। ऐसी स्थिति में लगभग 6 करोड़ EPFO सदस्य और पेंशनभोगी इस प्रस्तावित बढ़ोतरी से लाभान्वित हो सकते हैं। यदि प्रस्ताव लागू होता है, तो पेंशन में लगभग 650% की बढ़ोतरी होगी, जो ऐतिहासिक होगी।
वित्तीय बोझ और अगला कदम
अगर ₹7,500 की न्यूनतम पेंशन लागू होती है, तो इससे सरकार और EPFO दोनों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। इसके लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी, जिसे आगामी Union Budget में शामिल किया जा सकता है। तीसरे पक्ष के मूल्यांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही इस फैसले को अंतिम रूप दिया जाएगा।