
सरकारी नौकरी में कार्यरत महिलाओं और पुरुषों को न केवल सुरक्षित भविष्य की गारंटी मिलती है, बल्कि उनके पारिवारिक जीवन को सशक्त बनाने वाले Maternity & Paternity Benefits भी प्रदान किए जाते हैं। ये लाभ विशेष रूप से बच्चों के जन्म या गोद लेने की स्थिति में प्रभावी होते हैं, जिनका उद्देश्य कर्मचारियों को परिवार के साथ गुणवत्ता समय बिताने का अवसर देना होता है।
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महिला कर्मचारियों के लिए मातृत्व अवकाश का प्रावधान
भारत सरकार की सेवा में कार्यरत महिला कर्मचारियों को मातृत्व लाभ के रूप में कुल 26 सप्ताह यानी 180 दिन का सवेतन अवकाश प्रदान किया जाता है। यह लाभ पहले और दूसरे जीवित बच्चे तक सीमित होता है, जबकि तीसरे बच्चे के लिए यह अवकाश 12 सप्ताह तक सीमित रहता है। यह प्रावधान Central Civil Services (Leave) Rules के अंतर्गत आता है और महिला कर्मचारियों को उनके नवजात शिशु के साथ प्रारंभिक समय बिताने का पूर्ण अवसर प्रदान करता है।
गोद लेने पर भी मिलते हैं Maternity Benefits
गोद लेने वाली महिलाओं को भी मातृत्व अवकाश का अधिकार है, बशर्ते बच्चा 3 महीने से छोटा हो। ऐसी स्थिति में मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह का होता है जो गोद लिए जाने की तिथि से लागू होता है। यह नियम एक समावेशी और संवेदनशील सरकारी नीति का उदाहरण है जो मातृत्व के विविध रूपों को मान्यता देती है।
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पुरुष कर्मचारियों के लिए पितृत्व अवकाश की सुविधा
केंद्र सरकार के अंतर्गत कार्यरत पुरुष कर्मचारियों को, यदि उनके दो से कम जीवित बच्चे हैं, तो बच्चे के जन्म या गोद लेने पर 15 दिन का पितृत्व अवकाश दिया जाता है। यह अवकाश बच्चे के जन्म या गोद लेने की तिथि से छह महीने के भीतर लिया जा सकता है। इस दौरान भी कर्मचारी को पूरा वेतन दिया जाता है जिससे वह बिना किसी आर्थिक चिंता के अपने परिवार के साथ समय बिता सके।
सरोगेसी के तहत मिलने वाले अवकाश की सुविधा
सरोगेसी (Surrogacy) के मामलों में भी सरकार ने स्पष्ट और मानवीय नीति बनाई है। कमीशनिंग मदर को 180 दिन का मातृत्व अवकाश और कमीशनिंग फादर को 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिलता है। यह लाभ तभी मान्य होता है जब कर्मचारी के दो से कम जीवित बच्चे हों। यह नीति आधुनिक पारिवारिक संरचनाओं को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है और सभी प्रकार के अभिभावकों को समान अवसर देती है।
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