
High Altitude Posting पर तैनात होने वाले सुरक्षा बलों के जवानों और अधिकारियों को अतिरिक्त भत्ते (Extra Allowance) के रूप में अच्छा-खासा लाभ मिलता है। यह भत्ता खासतौर पर उन लोगों को दिया जाता है जो अत्यधिक ऊँचाई वाले, चुनौतीपूर्ण और मौसम की दृष्टि से कठिन क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देते हैं। ऐसे क्षेत्रों में काम करना सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से एक चुनौती भी होता है, जिसे सरकार आर्थिक रूप से मान्यता देती है।
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तीन श्रेणियों में बंटा है High Altitude Allowance
High Altitude Allowance को सरकार ने 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) की सिफारिशों के तहत तीन श्रेणियों में विभाजित किया है, जो तैनाती की ऊँचाई के आधार पर निर्धारित की जाती हैं। पहली श्रेणी उन क्षेत्रों के लिए है जो 9,000 फीट से ऊपर हैं, दूसरी 12,000 फीट और तीसरी 15,000 फीट से अधिक ऊँचाई वाले स्थानों के लिए। तैनाती जितनी अधिक ऊँचाई पर होती है, भत्ता उतना ही अधिक मिलता है। उदाहरण के तौर पर, 15,000 फीट से अधिक की पोस्टिंग पर अधिकारियों को ₹25,000 प्रति माह तक का भत्ता मिलता है।
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सियाचिन जैसे क्षेत्रों में मिलती है खास रियायत
सियाचिन ग्लेशियर जैसे अत्यधिक दुर्गम और खतरनाक इलाकों में तैनात जवानों को High Altitude Allowance के अतिरिक्त ‘सियाचिन अलाउंस’ भी दिया जाता है, जो ₹30,000 प्रति माह तक हो सकता है। यह भत्ता सिर्फ आर्थिक सहारा नहीं, बल्कि सैनिकों के समर्पण और बलिदान को सम्मानित करने का एक तरीका है। इसी तरह, उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को ‘काउंटर इंसर्जेंसी अलाउंस’ के तौर पर ₹16,900 प्रति माह तक की राशि दी जाती है।
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चुनौतीपूर्ण कार्यक्षेत्र के लिए सरकार का समर्थन
इन सभी भत्तों का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिन जवानों और अधिकारियों को अत्यधिक कठिन और जोखिमपूर्ण इलाकों में तैनात किया जाता है, उन्हें उनकी मेहनत और जोखिम के अनुरूप आर्थिक लाभ भी दिया जाए। High Altitude Posting एक विशेष प्रकार की तैनाती है जो सामान्य ड्यूटी से कहीं अधिक जोखिम और सहनशीलता की मांग करती है। ऐसे में यह भत्ता एक तरह से इन सैन्यकर्मियों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है।