
8th Pay Commission के गठन की घोषणा जनवरी 2025 में केंद्र सरकार द्वारा की गई, जिसमें न सिर्फ वेतन और पेंशन के समायोजन की जिम्मेदारी आयोग को सौंपी गई, बल्कि हेल्थकेयर सर्विसेज समेत भत्तों और अन्य बेनिफिट्स की समीक्षा करने का दायित्व भी दिया गया है। खासतौर पर CGHS यानी सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम के भविष्य को लेकर नए सिरे से विमर्श शुरू हुआ है। यह योजना अब केंद्र सरकार की प्राथमिकता सूची में है क्योंकि इसे एक व्यापक और आधुनिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से जोड़ा जाना प्रस्तावित है।
8th Pay Commission और CGHS का वर्तमान स्वरूप
CGHS यानी Central Government Health Scheme केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके आश्रितों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई एक पुरानी और स्थापित स्कीम है। इस स्कीम के अंतर्गत ओपीडी, स्पेशलिस्ट कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक सेवाएं और अनुदानित दरों पर दवाइयां उपलब्ध कराई जाती हैं। लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती इसकी सीमित भौगोलिक पहुंच और कई इलाकों में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे की कमी है। परिणामस्वरूप, ऐसे लाखों पेंशनर्स और कर्मचारी हैं जिन्हें इसका समुचित लाभ नहीं मिल पाता।
पिछले वेतन आयोगों की सिफारिशें और CGHS पर प्रभाव
6वें वेतन आयोग ने CGHS की सीमाओं को देखते हुए एक वैकल्पिक स्वास्थ्य बीमा योजना (Optional Health Insurance Scheme) की अनुशंसा की थी, जिसमें कर्मचारियों की स्वैच्छिक भागीदारी की बात की गई थी। इसके अंतर्गत भविष्य में भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए इस बीमा को अनिवार्य बनाने का सुझाव भी दिया गया। इसके बाद 7वें वेतन आयोग ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए Health Insurance को लॉन्ग टर्म समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। उसने CGHS के साथ-साथ CS(MA) और ECHS के तहत पैनल अस्पतालों को शामिल करने की बात कही, जिससे CGHS कवर के बाहर रहने वाले पेंशनभोगियों को भी कैशलेस इलाज मिल सके।
CGEPHIS: एक संभावित नया मॉडल
2025 की शुरुआत में सरकार के उच्च अधिकारियों के बीच CGHS को CGEPHIS (Central Government Employees and Pensioners Health Insurance Scheme) नामक एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना से बदलने की चर्चाएं तेज हुई हैं। यह योजना IRDAI-registered बीमा कंपनियों के माध्यम से संचालित की जा सकती है, जिससे लाभार्थियों को देशभर में अधिक अस्पतालों और सेवाओं तक पहुंच मिल सके। हालांकि अभी तक इस योजना की आधिकारिक घोषणा या रोलआउट टाइमलाइन सामने नहीं आई है, लेकिन संकेत हैं कि इसे 8वें वेतन आयोग की रिपोर्ट के साथ जोड़ा जा सकता है।
8वें वेतन आयोग से हेल्थकेयर को लेकर क्या अपेक्षा की जाए
अब जबकि 8th Pay Commission ने अपना कार्य शुरू कर दिया है, सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह आयोग CGHS जैसी पुरानी स्कीम की सीमाओं को दूर करते हुए एक समावेशी और आधुनिक हेल्थकेयर मॉडल को साकार कर सकेगा। CGEPHIS जैसे प्रस्तावित बीमा मॉडल के ज़रिये पेंशनभोगियों और कर्मचारियों को समग्र और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकती हैं। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह लाखों लाभार्थियों की मेडिकल सुविधाओं के अनुभव को पूरी तरह से बदल सकता है। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि सरकार की जिम्मेदारियों का विकेंद्रीकरण भी संभव हो सकेगा।