क्या ग्रेच्युटी आपकी CTC का हिस्सा है? जानिए पूरा कैलकुलेशन और सैलरी पर कैसे पड़ता है असर

क्या आप भी सोचते हैं कि ग्रेच्युटी आपकी सैलरी का हिस्सा है? सच्चाई जानकर चौंक जाएंगे! जानिए कैसे कंपनियाँ दिखाती हैं मोटी CTC लेकिन असल में आपकी जेब में आता है कितना – जानें पूरा फॉर्मूला और कंडीशन।

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Written by Rohit Kumar

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क्या ग्रेच्युटी आपकी CTC का हिस्सा है? जानिए पूरा कैलकुलेशन और सैलरी पर कैसे पड़ता है असर

जब हम किसी जॉब ऑफर में CTC यानी Cost to Company देखते हैं, तो एक बड़ा सवाल अक्सर मन में आता है—क्या ग्रेच्युटी-Gratuity भी इसका हिस्सा होती है? इस सवाल का जवाब जानना हर कर्मचारी के लिए जरूरी है, क्योंकि इससे आपकी इन-हैंड सैलरी, लॉन्ग-टर्म बेनिफिट्स और नौकरी छोड़ते समय मिलने वाली रकम पर असर पड़ता है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि ग्रेच्युटी क्या है, इसका कैलकुलेशन कैसे होता है और CTC में इसकी भूमिका क्या होती है।

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ग्रेच्युटी क्या होती है और किसे मिलती है?

ग्रेच्युटी-Gratuity एक वैधानिक लाभ है जो कर्मचारी को तब मिलता है जब वह किसी कंपनी में लगातार 5 साल तक कार्यरत रहता है। यह कंपनी की तरफ से कर्मचारी को उसकी सेवा के बदले एक फाइनेंशियल थैंक यू के रूप में दी जाती है। यह लाभ “The Payment of Gratuity Act, 1972” के तहत आता है और इसका उद्देश्य कर्मचारी के भविष्य को सुरक्षित करना होता है। अगर आप तयशुदा समय से पहले कंपनी छोड़ देते हैं तो यह लाभ नहीं मिलता।

CTC में ग्रेच्युटी की भूमिका

अक्सर कंपनियाँ अपनी तरफ से ऑफर लेटर में जो CTC दिखाती हैं, उसमें ग्रेच्युटी को शामिल किया जाता है। आमतौर पर यह आपकी बेसिक सैलरी का 4.81% होती है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹50,000 है तो हर साल ग्रेच्युटी के रूप में ₹30,000 से ₹35,000 तक की रकम CTC में दिखाई जा सकती है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह राशि हर महीने आपकी सैलरी में जुड़ती है। यह एक डीफर्ड बेनिफिट होता है जो तभी मिलता है जब आप कम से कम 5 साल कंपनी में रहते हैं।

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ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन फॉर्मूला

ग्रेच्युटी की गणना एक निर्धारित फॉर्मूले से की जाती है जो इस प्रकार है:
Gratuity = (Last drawn basic salary + DA) × 15 × Number of years of service ÷ 26
उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी अंतिम बेसिक सैलरी ₹50,000 है और आपने 5 साल की सेवा की है, तो ग्रेच्युटी बनेगी:
₹50,000 × 15 × 5 ÷ 26 = ₹1,44,230.77
यह रकम आपको कंपनी छोड़ने या रिटायरमेंट के समय मिलती है।

CTC और इन-हैंड सैलरी में फर्क

कई युवा प्रोफेशनल्स को लगता है कि जो भी रकम CTC में दिखती है, वही उनकी इन-हैंड सैलरी होगी। लेकिन ऐसा नहीं होता। CTC में ग्रेच्युटी, बोनस, पीएफ और अन्य बेनिफिट्स को शामिल किया जाता है जो सीधे तौर पर आपकी मंथली इनकम में नहीं आते। इसलिए किसी भी ऑफर लेटर को स्वीकार करने से पहले ग्रेच्युटी समेत अन्य घटकों को अच्छे से समझना जरूरी होता है।

क्या ग्रेच्युटी को CTC में जोड़ना सही है?

हालांकि ग्रेच्युटी एक लीगल राइट है, लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसे CTC में शामिल करना सही नहीं है क्योंकि यह एक संभावित लाभ है, न कि निश्चित। अगर कर्मचारी 5 साल से पहले कंपनी छोड़ता है, तो यह राशि उसे नहीं मिलती, बावजूद इसके कि यह CTC में जोड़ी जाती है। इसीलिए कुछ मामलों में यह एक मिसलीडिंग प्रैक्टिस भी मानी जाती है।

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