EPF और GPF खाते में क्या है अंतर, दोनों को एक समझने की न करें भूल

EPF और GPF के बीच का अंतर समझना बेहद जरूरी है, क्योंकि दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए कौन सा फंड बेहतर है, यह जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें और सही फैसला लें!

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Written by Rohit Kumar

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EPF और GPF खाते में क्या है अंतर, दोनों को एक समझने की न करें भूल
EPF और GPF खाते में क्या है अंतर, दोनों को एक समझने की न करें भूल

EPF and GPF Accounts: सरकार कई बचत योजनाएं चलाती है, जिनमें प्रोविडेंट फंड (PF) भी शामिल है। प्रोविडेंट फंड तीन प्रकार के होते हैं— पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF), और जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF)। हाल ही में मध्यप्रदेश के सतना शहर में नगर निगम में जीपीएफ घोटाला सामने आया, जिसने इस फंड को चर्चा में ला दिया है। इस घोटाले में एक लिपिक द्वारा निगम के स्थाई कर्मचारियों के जीपीएफ खाते से लाखों रुपए निकाले जाने की खबर है।

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अक्सर लोग EPF और GPF को एक ही समझने की भूल कर बैठते हैं, जबकि दोनों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। GPF में केवल सरकारी कर्मचारी योगदान कर सकते हैं, जबकि EPF में निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी भाग ले सकते हैं। इसके अलावा, दोनों योजनाओं में योगदान और निकासी नियम अलग-अलग होते हैं।

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EPF और GPF में मुख्य अंतर

GPF सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त राशि प्रदान करता है, जबकि EPF तब परिपक्व होता है जब कर्मचारी 58 वर्ष का हो जाता है। GPF का योगदान, अर्जित ब्याज़, और रिटर्न आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत कर मुक्त होता है, जबकि EPF खाते में 1.5 लाख रुपये तक का योगदान आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कर कटौती के लिए पात्र होता है।

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)

ईपीएफ उन कंपनियों के कर्मचारियों के लिए है जहां 20 या अधिक कर्मचारी काम करते हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। EPF में कर्मचारी की सैलरी का एक निश्चित हिस्सा जमा होता है, और नियोक्ता भी समान योगदान करता है।

ईपीएफ में कंपनी द्वारा दिए गए कुल योगदान में से केवल 3.67% EPF खाते में जमा होता है, जबकि शेष 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है।

वित्त वर्ष 2023-24 के लिए EPF पर 8.25% की ब्याज दर तय की गई है। यह योजना कर्मचारियों को न केवल वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उनकी पेंशन आवश्यकताओं को भी पूरा करती है। यह प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए एक संरक्षित बचत विकल्प के रूप में कार्य करता है। EPF में निवेश करना सुरक्षित होता है और यह कर्मचारियों के भविष्य को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाता है।

सामान्य भविष्य निधि (GPF)

GPF विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध एक बचत योजना है। इसमें कर्मचारी अपने वेतन का न्यूनतम 6% योगदान करते हैं और सेवानिवृत्ति के समय संचित राशि के हकदार होते हैं। वर्तमान में GPF पर 7.1% की ब्याज दर लागू है।

GPF योजना का मुख्य लाभ यह है कि यह शिक्षा, चिकित्सा, विवाह, या घर खरीदने जैसी आवश्यकताओं के लिए लचीली निकासी की अनुमति देता है। एक वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद, सभी अस्थायी और स्थायी सरकारी कर्मचारियों के लिए GPF सदस्यता अनिवार्य होती है।

GPF में न्यूनतम योगदान वेतन का 6% और अधिकतम योगदान 100% हो सकता है। कर्मचारी 10 साल की सेवा पूरी करने के बाद फंड से निकासी कर सकते हैं।

जीपीएफ और ईपीएफ – कौन सा बेहतर है?

GPF और EPF दोनों योजनाएं विभिन्न प्रकार के कर्मचारियों के लिए बनाई गई हैं। सरकारी कर्मचारी GPF का लाभ उठाते हैं, जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारी EPF में निवेश कर सकते हैं। दोनों ही योजनाओं का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।

यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं, तो GPF आपके लिए एक सुरक्षित और लाभकारी योजना हो सकती है। वहीं, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए EPF एक अच्छा विकल्प है क्योंकि इसमें पेंशन योजना का लाभ भी शामिल होता है।

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EPF और GPF से संबंधित महत्वपूर्ण नियम

  • EPF और GPF दोनों में कर्मचारी और नियोक्ता का योगदान अनिवार्य है।
  • EPF खाताधारक 58 वर्ष की आयु के बाद फंड का पूर्ण लाभ ले सकते हैं।
  • GPF खाताधारक को निकासी के लिए 10 साल की सेवा अनिवार्य होती है।
  • EPF पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है।
  • GPF पर अर्जित ब्याज कर मुक्त होता है।

दोनो में निवेश से फायदा होगा

EPF और GPF दोनों ही योजनाएं कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई हैं, लेकिन इनमें कई अंतर हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए GPF, और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए EPF एक आदर्श विकल्प हो सकता है। दोनों योजनाओं में निवेश कर कर्मचारी अपने भविष्य को आर्थिक रूप से सुरक्षित बना सकते हैं।

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