14 जनवरी 2025 को विजय कुमार बन्धु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा, जिसमें देश के अर्धसैनिक बलों, शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की समस्याओं को उजागर करते हुए पुरानी पेंशन (OPS) व्यवस्था की बहाली और निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने की मांग की गई। इस ज्ञापन में देश की वर्तमान आर्थिक और सामाजिक स्थिति का गहन आकलन करते हुए प्रधानमंत्री से सकारात्मक कदम उठाने की अपील की गई है।
प्रधानमंत्री को नववर्ष की शुभकामनाएं और सामाजिक समृद्धि की कामना
विजय कुमार बन्धु ने प्रधानमंत्री को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और प्रार्थना की कि देश के नागरिक स्वस्थ और समृद्ध जीवन व्यतीत करें। उन्होंने इस अवसर का उपयोग करते हुए सरकार का ध्यान उन जटिल समस्याओं की ओर आकर्षित किया, जो वर्तमान में अर्धसैनिक बलों और अन्य सरकारी कर्मचारियों के सामने हैं।
अर्धसैनिक बलों की सेवाओं को सराहना और उनकी समस्याओं का वर्णन
ज्ञापन में देश के अर्धसैनिक बलों की अमूल्य सेवाओं को सम्मान देते हुए कहा गया कि ये बल हर समय देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। संकट के समय, वे अपने परिवार की चिंता किए बिना अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।
हालांकि, 1 जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले इन जवानों को पुरानी पेंशन से वंचित कर दिया गया है, जिसके कारण सेवानिवृत्ति के बाद उनके जीवन यापन में गंभीर कठिनाइयां आ रही हैं।
NPS की विफलता और जवानों पर इसका असर
बन्धु ने NPS/UPS जैसी बाजार आधारित पेंशन व्यवस्था को असफल बताते हुए इसकी आलोचना की। उन्होंने बताया कि NPS के तहत मिलने वाली पेंशन इतनी कम और अनिश्चित है कि सेवानिवृत्ति के बाद जवान अपने परिवार का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं हो पाते।
अधिकांश अर्धसैनिक बलों के जवान गरीब किसान और मजदूर वर्ग से आते हैं, जिनके लिए पुरानी पेंशन ही एकमात्र सहारा थी। वर्तमान में पेंशन न मिलने के कारण उनके परिवार चिकित्सा, शिक्षा और शादी जैसे बुनियादी खर्चों को पूरा करने में असमर्थ हो रहे हैं।
जवानों के आत्मसम्मान और समाज में उपहास की स्थिति
सेवानिवृत्ति के बाद जब जवान अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी नहीं कर पाते, तो वे समाज में उपहास का शिकार बनते हैं। यह स्थिति उनके आत्मसम्मान और मनोबल को गहरा आघात पहुंचाती है।
निजीकरण के बढ़ते प्रभाव और बेरोजगारी की चुनौती
ज्ञापन में देश में बढ़ते निजीकरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। विजय कुमार बन्धु ने बताया कि सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल होती जा रही है।
कार्मिक मंत्रालय की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश में 9.5 लाख से अधिक सरकारी पद खाली पड़े हैं, लेकिन उन्हें भरा नहीं जा रहा। यह स्थिति न केवल युवाओं की संभावनाओं को सीमित कर रही है, बल्कि देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर कर रही है।
सरकार से प्रमुख मांगें
विजय कुमार बन्धु ने प्रधानमंत्री से तीन प्रमुख मांगें रखते हुए आग्रह किया कि—
- पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल किया जाए, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद अर्धसैनिक बलों, शिक्षकों और अन्य सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान हो।
- निजीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए और सरकारी संस्थानों को संरक्षित किया जाए।
- खाली पड़े सरकारी पदों को तुरंत भरा जाए, ताकि देश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें।