भारत में असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा हमेशा से एक चुनौती रही है। EPFO द्वारा दी जाने वाली पेंशन सुविधा उन कर्मचारियों तक सीमित है, जिनके खाते में कम से कम 10 साल तक पीएफ (Provident Fund) कटता है। इस वजह से, असंगठित क्षेत्र के लाखों श्रमिक इस सुरक्षा कवच से वंचित रह जाते हैं। इसे देखते हुए, भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने एक नई योजना की सिफारिश की है, जिसमें ऐसे श्रमिकों को भी पेंशन का लाभ मिल सकेगा।
EPFO के प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएं
EPFO ने सुझाव दिया है कि असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों और स्वरोजगार करने वालों को पेंशन के दायरे में लाने के लिए 1952 का कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम (EPF Act, 1952) संशोधित किया जाए। मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल उन संस्थानों का रजिस्ट्रेशन ईपीएफओ में होता है, जहां कम से कम 20 कर्मचारी काम करते हैं। नई सिफारिश के तहत, वेतन और कर्मचारियों की संख्या की सीमा हटाने की बात की गई है, ताकि स्वरोजगार करने वाले लोग और छोटे व्यवसाय भी इस योजना में शामिल हो सकें।
वर्तमान नियमों में बदलाव की आवश्यकता
फिलहाल, EPFO के नियम उन संस्थानों पर लागू होते हैं, जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी हैं। इसका मतलब है कि छोटे व्यवसाय और असंगठित क्षेत्र के मजदूर इस लाभ से बाहर रह जाते हैं। EPFO का उद्देश्य इस बाधा को समाप्त करना है। इसके लिए, सभी राज्यों और हितधारकों के साथ चर्चा की जा रही है।
अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह लाखों स्वरोजगार करने वाले और छोटे व्यवसायों में कार्यरत कर्मचारियों को रिटायरमेंट सेविंग्स और पेंशन का लाभ प्रदान करेगा।
EPFO के कोष में होगा इजाफा
यह बदलाव केवल श्रमिकों को लाभ नहीं देगा, बल्कि ईपीएफओ के कोष को भी मजबूत करेगा। वर्तमान में, EPFO के पास 5.5 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं। नए नियम लागू होने से यह संख्या और बढ़ेगी, जिससे भविष्य निधि, पेंशन, और बीमा योजनाओं के लिए अधिक फंड उपलब्ध होगा।
असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा की नई दिशा
यह प्रस्ताव न केवल पेंशन लाभ का विस्तार करेगा, बल्कि असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा को भी एक नई दिशा देगा। यह कदम उन श्रमिकों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करेगा, जो वर्तमान में किसी भी प्रकार की सुरक्षा योजनाओं से वंचित हैं।