केंद्र सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को लेकर एक सोची-समझी रणनीति का अनुसरण करने का निर्णय लिया है। इसके सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू होने की योजना है, जिससे सरकार को तैयारियों के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि पिछली गलतियों से सबक लेते हुए, इस बार विसंगतियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशें, जो कि 1 जनवरी 2016 को लागू की गई थीं, के बाद से भारतीय आर्थिक परिदृश्य में काफी बदलाव आया है। जीडीपी में वृद्धि, महंगाई का बढ़ना और सरकारी कामकाज के तरीकों में नवीनीकरण, ये सभी आठवें वेतन आयोग के शीघ्र गठन की मांग को और बल देते हैं।
कर्मचारी संगठनों की उम्मीदें
विभिन्न कर्मचारी संगठनों, जैसे कि ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन, इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर्स एसोसिएशन और कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्पलॉइज एंड वर्कर्स ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को चिट्ठी लिखकर इस बात की मांग की है कि आयोग का गठन जल्द से जल्द किया जाए। नेशनल काउंसिल ऑफ द ज्वाइंट कंसुलेविट मशीनरी के सेक्रेटरी शिवगोपाल मिश्रा ने भी कैबिनेट सचिव के समक्ष इस मांग को दोहराया है।
आगे की राह
अब यह देखना होगा कि सरकार इन मांगों के प्रति कितनी संवेदनशील है और आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा कब तक करती है। इसके गठन से न केवल कर्मचारियों को लाभ होगा बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक कदम साबित होगा।