7th Pay Commission के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों को महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) के एरियर का भुगतान किया जाना है। यह एरियर 34,000 करोड़ रुपये से अधिक का है, जिसे कोविड-19 महामारी के दौरान रोक दिया गया था।
अब, सरकारी कर्मचारी और पेंशनर लगातार इस 18 महीने के एरियर की मांग कर रहे हैं, और इसे लेकर संसद में भी सवाल उठाए गए हैं। लेकिन सरकार ने फिलहाल इस पर सकारात्मक कदम उठाने से इनकार कर दिया है।
DA एरियर पर सरकार की सफाई
महंगाई भत्ते का भुगतान कोविड महामारी के दौरान 1 जनवरी, 2020, 1 जुलाई, 2020, और 1 जनवरी, 2021 की तीन किस्तों में रोका गया था। महामारी की वजह से उत्पन्न आर्थिक संकट से निपटने के लिए सरकार ने यह निर्णय लिया था। इस रोक से सरकार ने कुल 34,402.32 करोड़ रुपये बचाए थे। अब, जब देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, कर्मचारी संगठन और विपक्षी दल लगातार इस एरियर की मांग कर रहे हैं।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी का बयान
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में इस मुद्दे पर सरकार का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि DA और DR को कोविड-19 महामारी के कारण रोका गया था और सरकार ने इस फैसले से उस समय के आर्थिक संकट को टालने में सफलता पाई थी। हालांकि, फिलहाल इस एरियर के भुगतान को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि नेशनल काउंसिल ऑफ ज्वॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (NCJCM) और गवर्नमेंट एम्प्लॉयीज एसोसिएशन ने इस संबंध में सरकार को पत्र भेजे हैं। लेकिन, अभी सरकार इस पर विचार करने के लिए सही समय नहीं मानती, क्योंकि कोविड महामारी के प्रभाव अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं।
सरकार ने बचाए 34,402 करोड़ रुपये
महामारी के दौरान सरकार ने तीन किस्तों का भुगतान रोककर 34,402 करोड़ रुपये की राशि बचाई थी। यह फैसला उस समय की आर्थिक कठिनाइयों से निपटने के लिए लिया गया था। इस राशि का उपयोग सरकार ने महामारी के दौरान आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए किया था। हालांकि, अब सरकार पर बढ़ते दबाव के बावजूद, इस एरियर के भुगतान पर अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है।
केंद्रीय कर्मचारियों की मांग
केंद्रीय कर्मचारियों की नेशनल काउंसिल और अन्य संगठनों ने 18 महीने के एरियर की मांग को प्रमुखता से उठाया है। इस वर्ष जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद, कर्मचारियों ने अपनी मांगों को फिर से सरकार के समक्ष रखा। इसमें से एक प्रमुख मांग 18 महीने के एरियर से जुड़ी हुई है।
कर्मचारियों का कहना है कि महामारी की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है, और अब जबकि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, सरकार को इस एरियर का भुगतान करना चाहिए।
विपक्ष की भूमिका
इस मुद्दे को संसद में भी उठाया गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार की निंदा करते हुए मांग की कि कर्मचारियों को उनका हक मिलना चाहिए। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जब देश की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है, तो कर्मचारियों और पेंशनरों के एरियर का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है।
सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को 34,000 करोड़ रुपये से अधिक का डीए एरियर मिलना अभी अनिश्चित है। सरकार ने फिलहाल इसे देने से इनकार कर दिया है, लेकिन कर्मचारियों और विपक्ष के बढ़ते दबाव के बीच, यह देखना होगा कि भविष्य में सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। कर्मचारियों की मांगें जारी हैं, और सरकार को जल्द ही इस मुद्दे का समाधान खोजना होगा।