शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिनमें से एक प्रमुख फैसला यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) को लेकर था। यह नई पेंशन योजना नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के विकल्प के तौर पर लाई गई है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों को एक सुनिश्चित पेंशन प्रदान करना है, जो एनपीएस में संभव नहीं था।
क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS)?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम, सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नई पेंशन योजना है जो 1 अप्रैल 2024 से लागू होगी। इस योजना के तहत कर्मचारियों को न्यूनतम ₹10,000 की सुनिश्चित पेंशन दी जाएगी। UPS में 25 साल की सेवा के बाद कर्मचारियों को उनकी सेवा के अंतिम 12 महीनों की औसत बेसिक सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा।
परिवार के लिए पेंशन
UPS में परिवार के लिए भी पेंशन का प्रावधान है। कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में उसके परिवार को कर्मचारी की पेंशन का 60% हिस्सा तुरंत प्रदान किया जाएगा।
मिनिमम पेंशन
UPS में न्यूनतम पेंशन का प्रावधान ₹10,000 प्रति माह है, जो कर्मचारी के 10 साल की सेवा के बाद रिटायरमेंट पर दी जाएगी। इसके अलावा, इस पेंशन में महंगाई के आधार पर समय-समय पर संशोधन किया जाएगा।
ग्रेच्युटी से अलग भुगतान
UPS में ग्रेच्युटी के अतिरिक्त रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान का भी प्रावधान है। यह राशि मंथली इनकम और महंगाई भत्ते के 10% हिस्से के बराबर होगी, जिसे हर 6 महीने में कैलकुलेट किया जाएगा।
राज्यों के लिए विकल्प
राज्य सरकारों को भी UPS चुनने का विकल्प दिया गया है। अगर राज्य सरकारें इसे लागू करती हैं, तो इससे लगभग 90 लाख लाभार्थी होंगे। UPS लागू करने से पहले वर्ष में सरकारी खजाने पर लगभग ₹6,250 करोड़ का बोझ पड़ेगा।
कौन हो सकता है शामिल?
केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने वर्तमान NPS में बने रह सकते हैं या UPS में शामिल हो सकते हैं। यह स्कीम 2004 के बाद से NPS के तहत रिटायर हो चुके कर्मचारियों पर भी लागू होगी।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम के लागू होने से सरकारी कर्मचारियों को भविष्य में बेहतर पेंशन सुरक्षा मिलेगी।