देश में पेंशनधारकों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है, बता दें केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (CPAO) जो बैंक के आंतरिक नियंत्रण सुदृढ़ करने और सिविल पेंशनर्स को सही और समय पर भुगतान, रिपोर्टिंग और विशेष सील प्राधिकरण में दिए गए प्राधिकरण के अनुसार शिकायतों का निवारण सुनिश्चित करता है।
सभी पेंशनधारकों के पर्सनल रिकॉर्ड की डिटेल सीपीएओ के पास होती है, ऐसे में कई बार अज्ञात व्यक्ति सीपीएओ कार्यालय से पेंशन भोगियों/ फैमिली पेंशनभोगियो के परिवार का सदस्य या मित्र बताकर उनका व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगते हैं।
हालांकि पेंशनधारियों के व्यक्तिगत रिपोर्ट को मांगने की कई वजह हो सकती है। ऐसे में यदि मंत्रालय किसी भी अंजान व्यक्ति को पेंशनधारकों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड दे देते हैं तो इससे उन्हें भविष्य में क्या खतरा हो सकता है और इसपर विभाग/मंत्रालय को क्या करना चाहिए? इस विषय का समाधान जारी करते हैं सरकार की और से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
केंद्र ने जारी कई दिशा-निर्देश
पेंशनधारकों के व्यक्तिगत रिकॉर्ड के विवरण को किसे शेयर किया जाना चाहिए और किसे नहीं इसे लेकर केंद्र सरकार की और से एक महत्त्वपूर्ण गाइडलाइन जारी की गई है, जिससे पेंशनभोगी के व्यक्तिगत विवरण की गोपनीयता को सुरक्षित किया जा सकेगा। यह सभी मंत्रालय/ विभाग के ऊपर लागू होती है, जिसके बारे में हर पेंशनभोग को जानना जरूरी है।
- सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार पेंशनभोगियो का डाटा किसी भी थर्ड पार्टी को नही दिया जाना चाहिए, इसमें यदि वकील या पुलिस भी पेंशनभोगी का व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगता है तो भी उन्हे यह डाटा तब तक नही दिया जाना चाहिए, जब तक उनके पास किसी तरह की उचित अथॉरिटी न हो।
- जब तक पेंशनभोगी या फिर फामिल पेंशनभोग की और से ने ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) नही मिल जाता, तब तक उनका व्यक्तिगत विवरण किसी भी थर्ड पार्टी को नही देना है।
- सभी मंत्रालय/ विभागों के आदेश जारी किया गया है, की पेंशनभोगियोंं का डाटा तब दिया जाए जब पेंशनभोगी ने खुद इसकी अथॉरिटी दी हो, मंत्रालय/ विभाग के अधिकारियों को पूरी तरह से जांच-परख करके ही व्यक्तिगत रिकॉर्ड दूसरी पार्टी को देना चाहिए।
किन कारणों से मांगे जाते हैं व्यक्तिगत रिकॉर्ड
जैसा की हमने बताया की CPAO कार्यालय में पेंशनधारकों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड का विवरण दर्ज रहता हैं, ऐसे में कई बार व्यक्तिगत रिकॉर्ड गलत हाथों में जाने से पेंशन धारकों की जानकारी की गोपनीयता पर खतरा बढ़ सकता है जैसे
- साइबर अपराध के लिए मांगा जाता है व्यक्तिगत विवरण: आज के समय में कई साइबर अपराधी हैं जो लोगों की जानकारी चुराकर उनके साथ फ्रॉड करते हैं। कई मामलों में यह अपराधी पेंशनधारक के घर के सदस्य बनकर उनका डाटा मांग लेते है, जिससे वह आसानी से ठगी कर सकें। इसके लिए यह साइबर अपराधी पेंशनभोगी का व्यक्तिगत रिकार्ड लेकर उनसे विभाग का अधिकारी बनकर ओटीपी या बैंक अकाउंट डिटेल्स लेकर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं।
- परिवार में कलह या मुकदमबादी: कई मामलों में पेंशनभोगी के ऊपर परिवार में कलह की वजह से मुकदमा चलता है, जिसमे यदि उनकी पत्नी जानना चाहती हैं की पेंशनभोगी ने अपना नॉमिनी किसे बनाया है या फिर पुलिस या वकील द्वारा भी किसी अन्य मामले के चलते पेंशनभोगी का व्यक्तिगत रिकार्ड मांगते और किसी दूसरे व्यक्ति के साथ इसे शेयर कर देते हैं तो इससे भी रिकॉर्ड के दुर्पयोग का खतरा बना रहता है।
- दूरसंचार कंपनियां भी मांगती है व्यक्तिगत रिकॉर्ड: कई बार ऐसा भी देखा जाता है की दूर संचार कंपनियां भी पेंशनभोगियो का व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगती हैं, ऐसे में व्यक्तिगत रिकॉर्ड मिलने के बाद वह उन्हें फोन करके अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए बार-बार फोन करके परेशान करने लगते हैं।
केवल उचित अथॉरिटी के साथ ही दिया जाए रिकॉर्ड
पेंशनधारकों के व्यक्तिगत विवरण की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए विभाग के अधिकारी को व्यक्तिगत विवरण देते समय यह ध्यान रखना चाहिए, की पेंशनधारकों का डेटा तभी दिया जाए, जब उसमें पेंशनधारक की मंजूरी हो। इससे यदि व्यक्तिगत रिकॉर्ड मांगने वाले के पास रिकॉर्ड लेने की उचित अथॉरिटी है तो जितने भी मंत्रालय या विभाग के अधिकारी हैं जब पेंशनभोगी का रिकॉर्ड देंगे तब उन्हें रिकार्ड मांगने वाले व्यक्ति की जानकारी मांगनी होगी।
इसके लिए उन्हें रिकॉर्ड मांगने वाले का प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा, जिससे भविष्य में किसी भी तरह की अनहोनी को रोकने में मदद मिल सकेगी और किसी भी प्राइवेसी पॉलिसी का उलंघन नहीं होगा।