
अब पति नहीं, बच्चे बनेंगे पारिवारिक पेंशन के हकदार—सरकार ने Employees’ Pension Scheme-EPS 95 के तहत एक क्रांतिकारी निर्णय लेते हुए महिला पेंशनर्स के हित में बड़ा बदलाव किया है। इस नए प्रावधान के तहत यदि किसी महिला पेंशनर की मृत्यु हो जाती है, तो उनके पति के बजाय उनके बच्चे पारिवारिक पेंशन पाने के प्राथमिक हकदार होंगे। यह कदम महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा को नई मजबूती देने के लिए उठाया गया है।
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बच्चों को मिलेगी सीधी पेंशन, पति होंगे बाहर
सरकार द्वारा संशोधित नियमों के अनुसार, महिला पेंशनर की मृत्यु के बाद पेंशन की राशि अब उनके पति को नहीं दी जाएगी, बल्कि दो बच्चों को सीधे प्रदान की जाएगी। ये बच्चे 25 वर्ष की आयु तक मासिक पेंशन के पात्र होंगे। उन्हें यह राशि विधवा पेंशन का 25% के अनुपात में मिलेगी। यह व्यवस्था महिला कर्मचारियों के परिवार को एक स्थिर और भरोसेमंद वित्तीय आधार देने में कारगर साबित होगी।
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विकलांग बच्चों के लिए जीवनभर पेंशन
इस नीति में सबसे मानवीय पहलू यह है कि यदि महिला पेंशनर के बच्चे मानसिक या शारीरिक रूप से विकलांग हैं, तो वे आयु सीमा की बाध्यता के बिना आजीवन पेंशन पाने के पात्र होंगे। यह विशेष प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि ज़रूरतमंद बच्चों को जीवनभर आर्थिक सहयोग मिलता रहे। यह निर्णय केवल आर्थिक राहत नहीं बल्कि सामाजिक समावेशिता की दिशा में भी एक सशक्त प्रयास है।
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पात्रता और पेंशन की संरचना
इस संशोधित ढांचे के तहत, दो बच्चों को ही एक समय में पेंशन प्राप्त हो सकती है। यदि महिला पेंशनर के पति जीवित हैं तो उन्हें अब इस योजना के अंतर्गत कोई पेंशन नहीं मिलेगी। वहीं यदि पति की मृत्यु पहले हो चुकी हो, तो बच्चों को विधवा पेंशन का 75% मिलेगा। विकलांग बच्चों को आजीवन पूर्ण पेंशन का लाभ मिलेगा, भले ही वे किसी भी उम्र के हों।